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29 दिसंबर, 2023

वादा


क्यूं वादा चाहती हो,
वादा नहीं 
इमान मांगती हो,
ना भरोसा मुझ पर,
यही जताती हो,
दोस्ती के जड़ों पर
कुल्हाड़ी मारती हो,
क्यूंकर 
वादा मांगती हो॥

जीवन की हर घड़ी में
जो भी किया 
वादा हमने,
पूरा न कर सके
पर
झूठी तसल्ली से
दिल को समझाया हमने,
फलां न हुआ 
तो यह भी न हुआ,
वह जो होता
यह भी हो ही जाता,
यही समझाया
अपने दिल को हमने।

यत्र तत्र सर्वत्र 
फिरते रहते हैं 
मन-मारकर, 
यही मनों वजन 
मन में लेकर।

इस बोझ से बचने आज
वादा करना ही 
छोड़ दिया हमने।।

- डॉ. शिवनारायण आचार्य ‘शिव’
   नागपुर, महाराष्ट्र