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19 मार्च, 2024

समाज में भाषा का स्वाभिमान जगाने की आवश्यकता है : डॉ. अतुल कोठारी


नागपुर। हमारी भाषाएं सक्षम हैं। दुनिया की किसी भी भाषा के मुकाबले अधिक वैज्ञानिक हैं। समाज में भाषा का स्वाभिमान जगाने की आवश्यकता है। मातृभाषा में गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम और साहित्य निर्माण होने से मातृभाषा में शिक्षा का विकल्प बनेगा। उक्त विचार शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने व्यक्त किए। वे राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के शताब्दी पर्व के निमित्त आयोजित राष्ट्रसंत व्याख्यानमाला में "मातृभाषा में शिक्षा" विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि .. किन्तु मातृभाषा में पाठ्यक्रम तैयार होना ही पर्याप्त नहीं है, इसके लिए समाज में मातृभाषा में शिक्षा के प्रति उदासीनता को दूर करना होगा। क्योंकि माँ, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है। डॉ. कोठारी ने जोर देकर कहा कि विश्व के सभी शिक्षाविदों का निष्कर्ष यही है कि मातृभाषा में शिक्षा ही मनुष्य जीवन के विकास का आधार है। उन्होंने कहा कि शैक्षिक सुधार की दिशा में अनुकूल वातावरण बना है। भारत सरकार ने भारतीय भाषा समिति का गठन किया है।


इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. प्रशांत बोकारे ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा होने से दूरदराज के गांव के विद्यार्थी उच्च शिक्षा में सहजता से जुड़ सकते हैं। मातृभाषा में शिक्षा से देश में सामाजिक एकता को बल मिलेगा। विश्वविद्यालय के प्र-कुलगुरु डॉ. संजय दुधे ने कहा कि समाज के हर वर्ग के विकास के लिए मातृभाषा में शिक्षा आवश्यक है। भाषायी गुलामी की मानसिकता को दूर करने के लिए हम सबको प्रयत्न करना होगा। कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के निमित्त आयोजित राष्ट्रसंत व्याख्यानमाला के ग्यारहवें पुष्प के रूप में मातृभाषा में शिक्षा विषय पर विमर्श आज के समय की बड़ी आवश्यकता है। मातृभाषा में शिक्षा ही सामाजिक बदलाव का मूलाधार है। आभार व्यक्त करते हुए मानविकी संकाय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. दत्तात्रेय वाटमोडे ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा  राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की संकल्पना है।


कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनोज पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर हिन्दी विभाग के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे, डॉ. मिथिलेश अवस्थी, अविनाश बागड़े, नरेन्द्र परिहार, शोभाताई पैठणकर, डॉ. विजय घुगे, डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी, डॉ. सुमित सिंह, डॉ. एकादशी जैतवार, डॉ. कुंजनलाल, प्रा. जागृति सिंह सहित अनेक स्कूलों और महाविद्यालयों के शिक्षक एवं प्राध्यापक तथा विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित थे।