वामा विमर्श मंच का हिन्दी उत्सव
नागपुर। वामा विमर्श मंच, नागपुर के तत्वावधान में हिंदी - उत्सव सफलतापूर्वक मनाया गया । कार्यक्रम के प्रथम सत्र के लिये विषय था - वैश्विक आगाज़- हिन्दी हो आवाज़। मंचासीन अतिथियों में कार्यक्रम अध्यक्ष पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष रा.तु.म.वि.वि. डॉ. वीणा दाढ़े, मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार अर्चन अर्चन, विशिष्ट अतिथि डॉ. आभा सिंह, हिन्दी विभागाध्यक्ष वी.एम.वी. कॉलेज एवं रंजना श्रीवास्तव संस्कृत विभागाध्यक्ष भवन्स स्कूल थीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ आभा आसुदानी की सरस्वती वंदना से हुआ। डॉ. वीणा दाढ़े ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा - हिंदी हमारी अस्मिता और ऊर्जा की पहचान है। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भाषा के रूप में स्थापित हिंदी विस्तृत संवाद का एक सशक्त माध्यम भी है। मुख्य अतिथि अर्चना अर्चन ने कहा कि हिन्दी सभी भाषाओं के शब्दों को अपने में समाहित कर लेती है। तभी आज पूरे विश्व में प्यार से अपनायी जा रही है। डॉ. आभा सिंह का कहना था कि हमारी भाषा हमारे अभिमान का विषय होना चाहिये। बाजार ने हिन्दी को हमसे पहले अपनाया है।
रंजना श्रीवास्तव ने कहा कि हिन्दी राष्ट्रीय भावना और सामाजिक चेतना की प्रतीक है । वामा विमर्श मंच की अध्यक्ष रीमा दीवान चड्ढा ने विदेशों में हिन्दी भाषा के लिये कार्य करने वाले प्रमुख लोगों के बारे में जानकारी दी और प्रथम सत्र का संचालन भी किया। अतिथि परिचय कार्याध्यक्ष शगुफ्ता काज़ी ने दिया, सचिव नीलम शुक्ला ने आभार प्रदर्शित किया।
द्वितीय सत्र में कलम के आंसू पाबंदियों की कारा,तोड़ निकली मसि में वामा विमर्श मंच की सखियों ने सुप्रसिद्ध महिला साहित्यकारों के जीवन पर प्रकाश डाला और उनकी प्रसिध्द रचनाओं का पाठ किया। द्वितीय सत्र का संयोजन व संचालन रंजना श्रीवास्तव ने किया।
प्रस्तुति निम्नानुसार थी : अमृता प्रीतम - विशाखा खंडेलवाल, कृष्णा सोबती -छाया श्रीवास्तव, सरोजिनी नायडू - रितु असाई, मन्नू भंडारी - अलका देशपांडे, चित्रा मुद्गल -संतोष बुधराजा, ममता कालिया - आरती सिंह एकता, मालती जोशी - रेशम मदान, सुभद्रा कुमारी चौहान - आराधना शर्मा, सुमित्रा कुमारी सिन्हा - अलका पाटनकर, उषा प्रियंवदा -जिगिशा शाह, प्रभा खेतान - अनिता गायकवाड, शिवानी - प्रभा मेहता, मेहरुन्निसा परवेज़ - उमा हरगण, मीरा बाई - रजनी कौशिक, राय प्रवीण - श्रीमती माधुरी मिश्रा 'मधु', ताज़ बेगम - किरण हटवार, संत लल्लेश्वरी देवी - सुषमा भांगे, शशि प्रभा शास्त्री - अवंति इंदुरकर,
उषा देवी मित्रा -अर्चना चौरसिया, महादेवी वर्मा - सुधा राठौर, महाश्वेता देवी- रश्मि मिश्रा, मृदुला गर्ग- तनवीर खान, इस्मत चुगताई - वंदना सहाय, झुम्पा लाहिड़ी - विधि ग्वालानी, अजीत कौर- शारदा मिश्रा, स्वर्ण कुमारी देवी - रूबी दास, डॉ. शीला भार्गव - मीरा बाई, मधु कांकरिया - डॉ .ज्योति गजभिये, कात्यायनी -दुर्गेश दीक्षित, मधु गुप्ता -प्रियंवदा तथा गीतांजलि श्री पर देवयानी बैनर्जी ने वक्तव्य दिया। अपर्णा चौहान ने अपनी कविता सुनाई। ममता विश्वकर्मा, अर्चना सोनी, अपराजिता राजोरिया, ममता परिहार, हेमलता मिश्र ‘मानवी’, छवि चक्रवर्ती, शारदा परांजपे, सुजाता दुबे आदि सखियां उपस्थित थीं।