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दयानदं आर्य कन्या महाविद्यालय में प्रयोजनमूलक हिंदी के अंतर्गत भाषाई कौशल का विकास कार्यशाला व्याख्यानमाला का ऑनलाइन आयोजन


नागपुर। आर्य विद्या सभा द्वारा संचालित दयानदं आर्य कन्या महाविद्यालय जरीपटका में प्रयोजनमूलक हिंदी के अंतर्गत भाषाई कौशल का विकास कार्यशाला व्याख्यानमाला का ऑनलाइन आयोजन किया गया.

कार्यक्रम के प्रथम दिन अतिथि वक्ता के रूप में दयानन्द आर्य सभा के कॉलेज इंचार्ज वेदप्रकाश आर्य सर एवं महाविद्यालय की अध्यक्ष कार्यकारी प्राचार्य डॉ. चेतना पाठक, अतिथि वक्ता तेजवीर सिंह सहित समस्त प्राध्यापक गण एवं बी.ए, बी.कॉम, एम. ए की लगभग 100से अधिक छात्राओं की उपस्थिति में किया गया. कार्यक्रम के प्रथम दिन अतिथि वक्ता के रूप में निदेशक लेखा (डाक) कार्यालय आकाशवाणी, चौक नागपुर के वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी तेजवीर सिंह उपस्थित थे. इन्होंने पारिभाषिक शब्दावली और विज्ञापन के कार्य में रोजगार इस विषय पर व्याख्यान देते हुए वर्तमान मे  विज्ञापन क्षेत्र की महत्ता को बताया, साथ ही अच्छे विज्ञापन की विशेषताओं पर चर्चा की इन्होंने कहा कि विज्ञापन एक संक्षिप्तता से हो, विज्ञापन वस्तु या विशेष जिसके लिए लिखा जा रहा है उसके अनुरूप ही हो, स्पष्ट हो. साथ ही वाचन, लेखन पर भी अपने विचार व्यक्त करते हुए इन्होंने कहा की प्रयोजन के अनुसार शब्द चयन करते हैं तो भाषा का चयन बदल जाता है. 

अलग -अलग भाषाओं के बारे में जानकारी दी गईं. उदाहरण. चीनी, जापानी, संस्कृत, उर्दू पारिभाषिक शब्दावली  के कार्य में रोजगार पाने के लिए किस पात्रता की आवश्यकता है? इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए इस तथ्य पर बल दिया की, सुगमता से रोजगार पाने के लिए भाषा पर हमारा प्रभुत्व होना चाहिए तभी हम विकास की बुलंदियों को छू सकते हैं . 

द्वितीय दिन मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में  दैनिक  भास्कर समाचार पत्र के वरिष्ठ  उप संपादक टीकाराम साहू ‘आजाद’ उपस्थित थे. उन्होंने हिंदी  भाषा और  पत्रकारिता में  रोजगार इस विषय पर वक्तव्य देते हुए कहाँ की हिंदी भाषा ही ऐसा माध्यम है जिसने हमारे देश को एक  सूत्र में बांधने का कार्य किया. आजादी के बाद भी हिंदी पत्रकारिता का बहुत महत्व रहा. हमारे लोकतंत्र के चार आधार स्तंभ है जिनमें पत्रकारिता का प्रमुख स्थान है  पत्रकारिता के लिए दृढ़ निश्चय,प्रयास आत्मविश्वास, स्वाभिमान इन चार बातों की आवश्यकता पर बल दिया साथ ही जर्नेलिज्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उनका मानना था कि अगर भाषा पर प्रभुत्व हो तो रोजगार के ढेरों द्वार खुले हैं . जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल, व्यापार और न जाने कितने विषयों में पत्रकारिता के माध्यम से व्यक्ति अपना विकास कर सकता है. पत्रकारिता की भाषा जितनी सहज, सरल एवं सुगम  होगी हम सहजता से उस व्यक्ति के ज्ञान को बढ़ा सकेंगे. पत्रकारिता के महत्व और उनके नए आयामों पर  भी प्रकाश डाला . 

तीसरे दिन मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में विशेष कर्तव्य अधिकारी (हिंदी) OSD (Hindi) VNIT राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (पश्चिम) पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ऑफ इंडिया  नागपुर के सत्येंद्र प्रसाद सिंह  उपस्थित थे. उन्होंने संवाद का सहज माध्यम है हिंदी  बोली और भाषा से रोजगार इस विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा कि हिंदी भाषा में अन्य भाषाओं से दुगने अवसर उपलब्ध है. आवश्यकता है अपने ऊपर आत्मविश्वास की, ईमानदारी पूर्ण प्रयासों की. हिंदी ही ऐसा माध्यम है जिसमें अनेक अवसर मिलते हैं हिंदी में कोई अड़चन नहीं है  हिंदी सर्वसामान्य  भाषा है और ऐसी भाषा है जिसके बिना कहीं पर भी कार्य नहीं किया जा सकता. जितनी हिंदी में सहजता है उतनी किसी और भाषा में नहीं  सोशल मीडिया पर अनेक लघु कथा, कहानी  हिंदी में लिखी जाती है. हिंदी के गाने, फ़िल्म की लोकप्रियता और उसमें हिंदी के माध्यम से रोजगार के अवसरों की जानकारी दी. 

चौथे दिन मुख्य अतिथि वक्ता के रूप मेंसदस्य सचिव-नराकास (का -2) उप्रबंधक (राजभाषा), वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, नागपुर के डॉ. मनोज कुमार उपस्थित थे .उन्होंने सरकारी कामकाज में हिंदी अनुवाद और रोजगार के अवसर इस विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा की सरकारी कार्यालय में राजभाषा पत्रकारिता में हिंदी के रोजगार के अवसर  है इन्होंने कहा कि हिंदी भाषा की जानकारी ही नहीं अपितु कहीं अन्य भाषा का ज्ञान भी चाहिए अन्य भाषा का प्रयोग करके भी हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं रोजगार में हिंदी ही सशक्त माध्यम है हिंदी का भविष्य उज्जवल है हिंदी को संविधान में राजभाषा का दर्जा दिया है सरकारी कामकाज में हिंदी को भी राजभाषा का दर्जा दिया हिंदी के माध्यम से सिनेमा घर में भी रोजगार प्राप्त कर सकते हैं सरकारी कार्यालय में हमें अपनी काबियत को बताना है तो टाइपिंग का भी ज्ञान होना चाहिए अगर आप अनुवाद में रोजगार प्राप्त करना चाहते हो तो आपको तकनीकी ज्ञान भी होना चाहिए. टेक्नोलॉजी से भी जुड़ना है तो हिंदी भाषा के साथ तकनीकी से भी जुड़े जैसे कि कंप्यूटर का भी ज्ञान होना चाहिए. केंद्र  सरकार के कार्यालय, बैंकिंग में राजभाषा में कार्यालय, LIC, निगम कंपनियां, सरकारी कंपनिओं में राजभाषा कार्यालयिन में निवृत्तियाँ निकाली जाती है. सरकारी कामकाज में हिंदी के महत्व को बताना  और किस प्रकार से रोजगार के अवसर प्राप्त किए जा सकते है. इसकी विस्तृत जानकारी दी. 

पांचवे दिन मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में राजभाषा सम्मान से सम्मानित, कृष्ण मोहन मेमोरियल फाउंडेशन के संस्थापक, संप्रति कर्मचारी राज्य जीवन बीमा निगम के  डॉ. जयप्रकाश उपस्थित थे, उन्होंने हिंदी में रचनात्मक लेखन इस विषय पर अपना वक्तव्य दिया इन्होंने  साहित्यिक विधाए और  रचनात्मक लेखन के प्रयोग से रोजगार इस विषय पर वक्तव्य देते हुए हिंदी साहित्य में किस प्रकार से प्रयोजनमूलक हिंदी का प्रयोग किया जा सकता है?इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए निबंध, नाटक, एंकाकी, उपन्यास, कहानी, डायरी, आत्मकथा,एवं जीवनी साहित्यिक विधाओं पर विस्तृत जानकारी दी. 

कार्यक्रम का समन्वयन, संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ. नीलम हेमंत वीरानी एवं डॉ.योगेश्वरी प्रवीण डबली ने किया. इसके अलावा हिंदी विभाग की प्रा. मनीषा चौहान एवं डॉ. ज्योति चेलानी इन्होंने भी इस व्याख्यान माला को सफल बनाने में पृथक प्रयास किया. कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु कार्यक्रम की संयोजिका कार्यकारी प्राचार्य डॉ. चेतना पाठक ने अथक प्रयास किया . जिसमें महाविद्यालय की समस्त  प्राध्यापिकाओं और छात्राओं का सहयोग प्राप्त हुआ.
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