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राम के वन गमन मार्ग अयोध्या से रामेश्वरम तक पदयात्रा करने वाली भारत की पहली पदयात्री शिप्रा पाठक पहुंची


नागपुर। सरयू से सागर तक जाने वाली राम जानकी वन गमन पथ की भारत की प्रथम पद यात्री वाटर वूमन शिप्रा पाठक आज नागपुर पहुंची।आपको बताते चलें शिप्रा पाठक ने 27 नवंबर को राम नगरी अयोध्या से अपनी राम जानकी पद यात्रा प्रारंभ की थी जो राम नाम के संकल्प के साथ उतर प्रदेश,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र,कर्नाटक में पड़ने वाले राम वन गमन पद चिन्ह के साथ साथ चलकर 11 मार्च को रामेश्वरम पहुंची।शिप्रा ने वन मार्ग में पड़ने वाली विभिन्न प्रमुख नदियों के जल से रामेश्वरम भगवान का जलाभिषेक कर नदियों की स्वच्छता के लिए प्रार्थना की।शिप्रा पाठक की पद यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत को भविष्य में होने वाले जल संकट से बचाने हेतु अध्यात्म जागरण से पर्यावरण जागरण का है। वाटर वूमन शिप्रा पाठक ने आज नागपुर पहुंच सकुशल यात्रा सम्पन्न होने पर सर्वप्रथम राष्ट्र की अमूल्य धरोहर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कार्यालय पहुंच परम पूज्य डॉक्टर केशवराव हेडगेवार जी को प्रणाम लिया। आपको बताते चलें पद यात्रा के दौरान भी यहाँ जाते हुए भी शिप्रा ने यहाँ आशीर्वाद लिया था।इसके उपरांत उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत एवम सरकार्यवाह भैया जी जोशी से अध्यात्मिक भेंट की। इस दौरान उन्होंने सरसंघचालक मोहन भागवत जी और भैया जोशी का आशीर्वाद लेकर आध्यात्मिक चर्चा कर उन्हें दर्जनों नदियों का जल प्राचीन शिवालय के जलाभिषेक हेतु भेंट किया।भैया जोशी ने शिप्रा के कार्य की सराहना करते हुए उन्हें सकुशल यात्रा सम्पन्न होने पर बधाई दी।शिप्रा पाठक ने तत्पश्चात सड़क परिवहन एवम् जहाज़रानी मंत्री नितिन गडकरी से भेंट कर नदी संरक्षण हेतु पर्यावरण के लिए किए जा रहे पंचतत्त्व के कार्यों से उन्हें अवगत कराया। शिप्रा ने ये निवेदन किया कि सड़क बनते हुए पर्यावरण का भी ध्यान रखा जाये ताकि वृक्षों की हानि ना हो। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने शिप्रा को अपनी पुस्तक ‘अनमास्किंग इंडिया’ भेंट की।इसके बाद नागपुर शहर में सर्व मानव सेवा संघ के संस्थापक अध्यक्ष तथा भाजपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य सुभाष कोटेचा के कार्यालय पर प्रेस वार्ता करते हुए शिप्रा ने कहा आने वाले दिनों में होने वाले जल संकट से भारत को बचाने के लिए नदी,जल,जंगल,पहाड़,वृक्षों को बचाना होगा।उन्होंने कहा अपनी इस पद यात्रा में उन्होंने देखा भगवान राम ने भी अपने वन गमन मार्ग में मुख्य नदियों,पहाड़ों,जंगलों को स्पर्श कर इन्हें पूज्यनीय बताया।शिप्रा ने कहा आज की जागरूकता हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगी।उन्होंने कहा सरकार के ऊपर जिम्मेदारियां थोप कर हम बच नही सकते।इसके लिए हम सभी को जल के महत्त्व और संरक्षण को आपस में मिलकर एक दूसरे को समझाना होगा।उन्होंने कहा कृत्रिम उर्वरक का कम से कम उपयोग करें।अपनी जमीन की जांच कराकर उसे उतना ही पोषण दें जितने की जरूरत हो।शिप्रा ने 3952 किमी की पद यात्रा के दौरान जगह जगह संवाद करके युवा पीढ़ी को राम जानकी के चरित्र को आत्मसात करने की प्रेरणा देते हुए कहा जानकी माता ने सदैव अपने कुल,मर्यादा,स्वाभिमान को सर्वोपरि रखा इसके लिए उन्होंने अयोध्या का यश वैभव छोड़ भगवान राम के साथ बनवास जाना चुना।शिप्रा ने राम जानकी वन मार्ग में लगभग दो दर्जन से ज्यादा राम जानकी वाटिका लगाने की भी संरचना की है जिसमें विलुप्त होती हुई औषधीय पौधे रोपित किए जायेंगे।शिप्रा पाठक की यह पद यात्रा भारत में किसी मातृ शक्ति द्वारा अयोध्या से रामेश्वरम तक 3952 किमी की दूरी पैदल नापने वाली पहली यात्रा है।इस यात्रा के माध्यम से शिप्रा को कई रामायणकालीन अनुकूल अनुभूतियां भी हुईं है जिसका लेखन कर राष्ट्र हित में अपनी पुस्तक लिखकर राष्ट्र को समर्पित करेंगी।अपनी इस अदभुत यात्रा से पहले शिप्रा नर्मदा नदी की 3600 किमी की पद यात्रा कर नदी किनारे कई लाख पौधे रोपित कर चुकीं हैं।उत्तर प्रदेश की गोमती नदी की पद यात्रा करने वाली शिप्रा पाठक भारत की पहली मातृ शक्ति हैं।शिप्रा का कहना है जल संकट को दूर करने कर लिए सर्व प्रथम नदियों को बचाना होगा।नदी किनारे सरिया सीमेंट बजरी निर्माण बिलकुल बंद करना होगा।नदी के प्राकृतिक जल श्रोत खोलकर नदियों की अविरल धारा बहाने हेतु कार्य करना होगा।नदियों में प्रवाहित होने वाले रसायनिक तत्व बंद करने होंगे
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