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उभरते सितारे में 'सृजनात्मक बने'


नागपुर। बड़े-बड़े मंचों पर बोलना आसान है। लेकिन, उभरते सितारे के इन बच्चों के सामने क्या बोलना है समझ नहीं रहा। इनसे सीखना है कि, इनको सीखाना है। इनसे बुलवाना है या, इनको बताना है। बड़ों को समझाना आसान होता है। यहां उभरते सितारे मंच से बच्चों की दशा और दिशा निर्धारित होती है। लोगों के सामने कैसा बोलना है, अपने आप को कैसे अभिव्यक्त करना है, यह यहां सिखाया जाता है। हमारे बचपन में टीवी और मोबाइल नहीं थे। हम बचपन में कंचे, टिक्का बिल्ला, गिल्ली डंडा, खो-खो और पतंग उड़ाना खेला करते थे।  इन खेलों से कंसन्ट्रेशन बढ़ता था। तथा, पतंग उड़ाने से स्ट्रेटजी बनती थी कि, किस हाइट से कैसे पतंग उड़ाना है। आजकल बच्चे गैजेट्स में ही उलझे रहते हैं। आज बच्चों ने जो भी करना है पहले सोचो कि क्यों करना है। और इसका आगे क्या असर होगा। क्योंकि, आने वाले भविष्य के लिए ऐसी चीज सीखना है जो काम आ सके, जो स्किल डेवलप कर सके। मल्टीपल टास्किंग सिखाना जरूरी है। और, पैरेंट्स ने भी ध्यान देना है कि, जहां पर बच्चा अच्छा कर रहा है उसे और ज्यादा डेवलप कराएं। यह विचार प्रो. डॉक्टर महेश शुक्ला जी ने बच्चों के बीच रखें।


विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं को समर्पित उपक्रम 'उभरते सितारे'। जिसके अंतर्गत 'सृजनात्मक बने' विषय पर ज्ञानवर्धक, संगीतमय कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें, अंतरराष्ट्रीय स्तर के रिसर्च स्कॉलर, प्रोफेसर डॉ महेश आर. शुक्ला जी अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इनका सम्मान सहसंयोजिका वैशाली मदारे और प्रशांत शंभरकर ने स्वागत वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया। इस अवसर पर सुरिचित समाजसेविका मंदाताई वैरागडे और प्रो. डॉ. शालिनी तेलरांधे प्रमुखता के साथ उपस्थित थीं। सर्वप्रथम कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने कहा कि, हमारे समय छुट्टियों में गांव जाकर हमारे बड़ों से सीख के आते थे, जो आज काम आ रहा है। सिलाई कड़ाई से लेकर और भी कई चीज रहती थी। बच्चों ने हमेशा अपने जमीन से जुड़े रहना चाहिए। अपने पेरेंट्स का सम्मान करना चाहिए, समझाया। 


तत्पश्चात, बच्चों ने भी 'सृजनात्मक बने' थीम पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, अपनी प्रस्तुतियों से मन मोह लिया।  जिसमें, अंश माखीजा ने सुंदर कीबोर्ड वादन किया। आराध्या चेलानी, काव्या दयानी, वियान संगतानी, मृणाल तेलरांधे, अंश मखीजा, जान्हवी तामगड़े, अलिशा खोबरागड़े, त्रिशिका वाघमारे, लिशा असनानी, पुलस्त्य तरारे, राम बागल, हार्दिक मोटवानी, अगम्य वानखेडे, भव्या अरोरा  ने बहुत ही सुंदर गीत सुनाएं। निमीक्षा वैरागडे, एंजेल एंटीक, प्रिशा भैया और संपूर्णा रेमंडल ने शानदार नृत्य पेश किया।
प्रतिभाशाली बच्चों की प्रस्तुतियों को कृष्णा कपूर, आशा वेदप्रकाश अरोरा, स्मिता वानखेडे, स्नेहल खोबरागड़े, शिवानी लूहा, सीमा लूहा, किरण मोटवानी, श्रीकांत नरेंद्र भैया, युवराज चौधरी, योगिता तरारे, देवस्मिता मानस पटनायक, प्रीति अभिजीत बागल, मोनिका रेमंडल आदि ने बहुत सराहा। कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। उपस्थित सभी बच्चों और अभिभावकों का आभार प्रशांत शंभरकर ने व्यक्त किया।
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