Loading...

चेन्नई में आयोजित 483वें नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह संपन्न


नागपुर/चेन्नई। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा चेन्नई हिंदी प्रचारक संघ के हिंदी प्रचारक/हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 5 मई से 17 मई तक  ‘483वें नवीकरण पाठ्यक्रम’ का आयोजन गुरुनानक महाविद्यालय, वेलेचेरी में किया गया। इस नवीकरण पाठ्यक्रम में कुल63 (पुरुष-7, महिला-56) प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया। नवीकरण पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे के साथ डॉ. फत्ताराम नायक, डॉ. दीपेश व्यास, डॉ. ए. भवानी ने अध्यापन कार्य संपन्न किया। डॉ. नीरजा गुर्रमकोंडा, डॉ. स्वाती पालीवाल ने विशेष व्याख्यान दिए।


इस नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह 17 मई को केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी की अध्यक्षता में संपन्न किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बी. एल. आच्छा, विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व प्राचार्य डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन, गुरुनानक महाविद्यालय, चेन्नई के उप प्राचार्य डॉ. पी. वी. कुमारगुरु, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा चेन्नई की कुलसचिव डॉ. पी. राधिका तथा अन्य अथिति के रूप में चेन्नई हिंदी प्रचारक संघ के महासचिव श्री अशोक कुमार जैन, गुरुनानक महाविद्यालय, वेलचेरी की डीन, अकादमी डॉ. स्वाति पालीवाल  उपस्थित थे। 
इस अवसर पर पाठ्यक्रम संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक एवं डॉ. दीपेश व्यास मंच पर उपस्थित थे। डॉ. ए. भवानी, डॉ. एन. गुरुमूर्ति, डॉ. ईश्वर करुण, डॉ. वासुदेवन आदि तमिलनाडु के हिंदी प्रेमी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। 


समापन समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत स्मृति चिह्न एवं शाॅल ओढ़ाकर किया गया। उसके बाद प्रतिभागी श्रीमती गोमती तथा समूह द्वारा सरस्वती वंदना, विजया तथा समूह द्वारा संस्थान गीत एवं सरला तथा समूह द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किए गए। अतिथियों का स्वागत परिचय श्रीमती लक्ष्मी सुरेश द्वारा किया गया। स्वागत गीत के साथ भरतनाट्यम की प्रस्तुति ने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया। देशभक्ति गीत इंदु तथा समूह द्वारा एवं कल्याणी तथा समूह द्वारा प्रस्तुतियाँ दी गईं। श्रीमती सरला, कंचना तथा श्री देवी ने स्वरचित कविताओं के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दर्ज कराई। पाठ्यक्रम से संबंधित मंतव्य श्रीमती विद्यावती के., पुष्पलता तथा रवींद्र नाथ द्वारा प्रस्तुत किया गया। गोमती तथा समूह द्वारा कुम्मी नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभागियों द्वारा रचित "चेन्नई : शहर एक, रंग अनेक" हस्तलिखित पत्रिका का लोकार्पण किया गया।   


केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्थान लगातार हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए कार्य कर रहा है। इसे अब विश्वविद्यालय का भी दर्जा प्रदान किया गया है, जिसके तहत अब हम डिग्री डिप्लोमा भी विश्वविद्यालय से दे सकेंगे। दक्षिण भारत में अब हिंदी के प्रचार प्रसार को और भी गति देने में सरलता होगी। जो भी अध्यापक यहाँ पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य कर रहे हैं वे सभी बधाई के पात्र हैं। संस्थान भाषा संगम नाम की एक योजना तैयार कर रहा है जिसमें दक्षिण भारत के प्रचारक उत्तर भारत में आकर दक्षिण भारत की भाषा सिखाएँगे तथा उत्तर भारत के अध्यापक दक्षिण भारत में हिंदी का प्रचार-प्रसार करेंगे। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हमें काफी संघर्ष करना पड़ता है, किंतु प्रतिभागियों की निष्ठा को देखकर यह काम अपने आप हो जाता है।


मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. बी. एल. आच्छा ने कहा कि हिंदी की परंपरा को तमिलनाडु में महिलाओं ने ही बचा कर रखा है तथा उन्होंने हिंदी के प्रचार-प्रसार का काम करने के लिए अपने आपको सौभाग्यशाली माना।
विशिष्ट अतिथि डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन ने अपने उद्बोधन में कहा कि अन्य भाषाओं के साथ हिंदी को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। सभी भाषाएंँ पढ़ने वाले बच्चे एक समान होते हैं। हिंदी के विकास के लिए कहानी एवं कविताओं का लेखन निरंतर करते रहना चाहिए। डॉ. पी. राधिका ने अपने संबोधन में शिक्षकों से आशा की कि वह नए-नए प्रयोग कर अपने छात्रों को शिक्षण कार्य करेंगे तो वे कुछ नया सीख पाएँगे। उन्होंने कहा कि पहले शिक्षक का डर छात्रों में होता था पर अब सामाजिक परिस्थितियाँ बदलने से वह डर नहीं रहा। लेकिन नई शिक्षा नीति को अपना कर बिना डर के भी अच्छा शिक्षण कार्य किया जा सकता है। 


डॉ. पी. वी. कुमारगुरु ने कहा कि हिंदी का प्रशिक्षण ले रहे सभी प्रतिभागियों को बधाई देते हुए प्रशिक्षण में सीखें गए कार्य से अपने छात्र-छात्राओं में नई ऊर्जा का संचार करने का आह्वान किया। तथा अंत में क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने कहा कि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही करते हैं। सोच हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए तथा उन्होंने निरंतर अभ्यास करने से ही शुद्ध वाचन, उच्चारण एवं लेखन हो सकता है। डॉ. फत्ताराम नायक ने सभी प्रतिभागियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उनके निरंतर शिक्षा में रहकर किए गए प्रयासों की सराहना की। डॉ. दिपेश व्यास ने कहा कि इस प्रशिक्षण में महिलाओं की प्रतिबद्धता अधिक थी उसमें भी बुजुर्ग महिलाओं को देखकर लगता है की उम्र की सीखने में कहीं बाधा नहीं होती।  


नवीकरण पाठ्यक्रम में अध्यापन कार्य के दौरान प्रतिभागियों का पर-परीक्षण लिया गया। उसमें प्रथम स्थान श्रीमती सायरा बानो, द्वितीय स्थान एस. राजेश्वरी, तृतीय स्थान श्रीलता प्राप्त किया। प्रोत्साहन पुरस्कार वयोवृद्ध श्रीमती भाग्यलक्ष्मी बी. को दिया गया। 
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह अतिथियों द्वारा प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संचालन प्रतिभागी अध्यापक श्रीदेवी ने किया तथा  सभी का धन्यवाद ज्ञापन महासचिव डॉ. अशोक जैन ने किया। अंत में राष्ट्रगान के बाद समापन समारोह कार्यक्रम समाप्त हुआ।
समाचार 8305873084504566201
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list