
घोड़ों की राजनीति
जब- जब राजनीति के अखाड़े में बयानबाज़ी की रेस लगती है, तब-तब कोई न कोई नेता अपने जुबानी घोड़े को दौड़ा देता है। राजनीति एक समय बहस, विचारधा...
14 सितंबर : हिंदी दिवस पर विशेष पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, जो समाज को सूचना, शिक्षा और जागरूकता प्रदान करने में महत्...
जब- जब राजनीति के अखाड़े में बयानबाज़ी की रेस लगती है, तब-तब कोई न कोई नेता अपने जुबानी घोड़े को दौड़ा देता है। राजनीति एक समय बहस, विचारधा...
व्यंग्य भारतीय लोकतंत्र में जैसे ही सरकार कोई फैसला करती है, विपक्ष की आत्मा चीख उठती है - यह तानाशाही है! चाहे सरकार कहे कि सबको मुफ्त ऑक्स...
चुनाव का बिगुल बज चुका है, अब हर तरफ बस एक ही आवाज "नेता चाहिए नेता" गूंज रही है। पार्टी को उम्मीदवार के रूप में नेता चाहिए... जनत...
'मुफ्त का चमत्कार' हमारे लोकतंत्र का ऐसा हिस्सा बन गया है, जहां सब खुश रहते हैं - सरकार अपने वादों से, और जनता अपने सपनों से! देश क...
सुबह उठे तो लगा मानों मनों वजन दोनों पावों पर था, इतना जबरदस्त दर्द कि पांव हिलाना मुश्किल। सभी जोड़ों में दर्द। साथ ही तेज बुखार। फिर क्या,...
व्यंग्यधारा समूह की 'समकालीन राजनीतिक परिदृश्य में परसाई की प्रासंगिकता' पर ऑनलाइन गोष्ठी नागपुर। परसाई ने अपने समय और आने वाले समय ...
व्यंग्यधारा समूह का 'आधुनिक समाज में व्यंग्य की आवश्यकता' पर गोष्ठी नागपुर। व्यंग्यकारों को खतरे उठाने होंगे| हम दिक्कत ...