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केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा पांडिचेरी में आयोजित ‘485वें नवीकरण पाठ्यक्रम’ का उद्घाटन समारोह संपन्न




नागपुर/करमनीकुप्पम। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा पांडिचेरी के हिंदी अध्यापकों/प्रचारकों के प्रशिक्षण के लिए दि.03.06.2025 से दि.14.06.2025 तक ‘485वें नवीकरण पाठ्यक्रम' का आयोजन किया जा रहा है। जिसका उद्घाटन समारोह दि. 03.06.2025 को जीवानंदम सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय, करमनीकुप्पम, पांडिचेरी के सभागार में संपन्न किया गया। 


सम्मानित अतिथि के रूप में जीवानंदम सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय, करमनीकुप्पम, पांडिचेरी के प्राचार्य तिरु. केशव, विशेष अतिथि के रूप में सहायक प्रोफेसर (हिंदी) एवं द.भा.हिं.प्रचार सभा चेन्नई तथा त्रिचि के कार्यकारी सदस्य डॉ. एन. डॉ. एन. सेंदिल कुमरन तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान, मैसूर केंद्र के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक प्रो. एम. ज्ञानम उपस्थित थे। 


इस अवसर पर पाठ्यक्रम संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक, डॉ. दीपेश व्यास, अतिथि प्रवक्ता एवं डॉ. एस. राधा उपस्थित रहे। इस ‘485वें नवीकरण पाठ्यक्रम’ में कुल 41 (महिला-41) हिंदी अध्यापकों/प्रचारकों ने पंजीकरण कराया।


सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसके पश्चात सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। अतिथियों का शॉल एवं माला द्वारा स्वागत क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे द्वारा किया गया। शब्द सुमनों द्वारा स्वागत एवं परिचय डॉ. फत्ताराम नायक ने किया। डॉ. गंगाधर वानोडे ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत कीl 

सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित जीवानंदम सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय, करमनीकुप्पम, पांडिचेरी के प्राचार्य तिरु. केशव ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी बड़ी मधुर भाषा है। उसे अंग्रेजी से नहीं तमिल से सीखिए। तमिल और हिंदी आदर की भाषाएँ हैं। जो आदर इन भाषाओं में है, वह किसी में नहीं है। हमें किसी भी भाषा से डरना नहीं है।

विशेष अतिथि के रूप में डॉ. एन. डॉ. एन. सेंदिल कुमरन, सहायक प्रोफेसर (हिंदी), कार्यकारी सदस्य, द.भा.हिं.प्रचार सभा चेन्नई ने अपने उद्बोधन में कहा कि पांडिचेरी के अध्यापकों को 15 वर्ष बाद फिर से यह सौभाग्य मिला है कि केंद्रीय हिंदी संस्थान के अध्यापक उन्हें प्रशिक्षण देने यहाँ आए हैं। अगर सभी प्रतिभागी प्रति दिन समय पर आते हैं तो निश्चित ही उनका ज्ञानार्जन होगा।

विशेष अतिथि के रूप में प्रो. एम. ज्ञानम ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम आप अध्यापकों द्वारा आपके छात्रों तक पहुँचना चाहते हैं। हिंदी विभिन्न प्रांतों को जोड़ने का काम करती है। दक्षिण भारत में गांधी जी ने हिंदी का भरपूर प्रचार-प्रसार किया। जिससे वे पूर्वोत्तर के राज्यों से जुड़ सकें। बच्चों को ज्यादा-से-ज्यादा हिंदी बोलने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रतिभागिता कर रही श्रीमती एम. प्रभावती ने व्याकरण से संबंधित होने वाली त्रुटियों को दूर करने की अपेक्षाएँ रखी। श्रीमती शिव प्रिया ने अनुवाद से संबंधित अपनी जिज्ञासाएँ प्रकट की। 
प्रो. गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, हैदराबाद केंद्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी अध्यापकों को अपने छात्रों से हिंदी में ही बात करनी चाहिए। निरंतर अभ्यास से बोलने एवं लिखने की अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है। इस प्रशिक्षण के दौरान निश्चित ही प्रशिक्षणार्थियों के ज्ञान में वृद्धि होगी।

इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. फत्ताराम नायक ने किया तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र की डॉ. राधा सगिली, कार्यालय अधीक्षक ने आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रो. गंगाधर वानोडे भाषा विज्ञान तथा उसके विविध पक्ष, ध्वनि, उच्चारण, भाषा परिमार्जन, भाषा कौशल, लेखन कौशल, डॉ. फत्ताराम नायक हिंदी व्याकरण तथा उसके विविध पक्ष, रस, छंद एवं अलंकार, शब्द शक्तियाँ, भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय जीवन पद्धति, भारतीय बहुधर्मिता और समन्वय, डॉ. दीपेश व्यास साहित्य शिक्षण, पाठ योजना, गद्य, पद्य, शिक्षा मनोविज्ञान, हिंदी साहित्य का इतिहास, हिंदी भाषा का उद्भव और विकास, डॉ. एम. ज्ञानम व्यावहारिक हिंदी संरचना, तमिल तथा हिंदी के शब्दों में साम्य तथा वैषम्य, डॉ. जयशंकर बाबू हिंदी शिक्षण एवं अधिगम में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग, हिंदी शिक्षण की सामग्री का विकास तथा भाषा प्रौद्योगिकी औजारों का अनुप्रयोग, प्रो. पद्मप्रिया एस. दृश्य श्रव्य माध्यम से हिंदी शिक्षण आदि विषयों का अध्यापन कार्य संपन्न करेंगे। पूर्व परीक्षण के बाद नियमित कक्षाएँ आरंभ हुईं।
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