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भारतीय जन-मन की अनुगूँज है तुलसी और प्रेमचंद : डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय


हिन्दी विभाग में मनाई गई तुलसी व प्रेमचंद की जयंती

नागपुर। भारतीय संस्कृति सर्वसमावेशी है। दुनिया में क्रान्ति रक्त बहाकर लायी गई किन्तु भारत में क्रान्ति विचारों से आयी। वास्तव में, वैचारिक आंदोलनों ने भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखा है। गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद का साहित्य  इसका प्रमाण है। दोनों साहित्यकारों ने भारतीय जीवन मूल्यों को स्थापित किया। यह बात महाराष्ट्र शासन के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय ने कही। वे हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा तुलसीदास एवं प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।  


डॉ. उपाध्याय ने कहा कि लोक-मंगल की कामना ही तुलसी के मानस का उद्देश्य है। तुलसी कहते हैं 'सुरसरि सम सब कर हित होई'। तुलसी और प्रेमचंद भारतीय मानस के आदर्श को प्रस्तुत करने वाले रचनाकार थे।कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रो. शुचिस्मिता मिश्र ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास और प्रेमचंद की रचनाएं कालजयी हैं। तुलसी ने रामचरित के माध्यम से मानवीय मूल्यों का आदर्श समाज के समक्ष रखा। तुलसी साहित्य में हम जितनी गहराई से उतरते हैं, उतना ही हमारे जीवन में परिवर्तन आता है। वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र पटौरिया ने मुंशी प्रेमचंद के जीवन के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला। 


उन्होंने प्रेमचंद को जन-मन का अध्येता बताया। प्रास्ताविक रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि तुलसी के राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। उन्होंने लोक नायकत्व की अवधारणा स्थापित की, तो प्रेमचंद ने होरी के माध्यम से जीवन-मूल्यों को परिभाषित किया। दोनों ही रचनाकार भारतीय समाज का जनोन्मुखी पक्ष उद्घाटित करते हैं। सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने कहा कि पतनोन्मुख समाज में तुलसी ने आदर्श की स्थापना की और प्रेमचंद ने सामान्य मनुष्य को नायक के रूप में प्रतिष्ठित किया। 

इस अवसर पर विभाग के पूर्व विद्यार्थियों को मानपत्र, अंगवस्त्र तथा श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। डॉ. सुमित सिंह ने आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. गोविंद प्रसाद उपाध्याय, टीकाराम साहू, अजय पांडे, अविनाश बागडे, गोविंद त्रिवेदी, मार्तण्ड शाही, नीलम विरानी, स्वाति व्यास, डॉ एकादशी जैतवार, डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी, किशन गावित,  रवि शुक्ला सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शोधार्थी तथा नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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