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ज्येष्ठ नागरिको ने 'अंत ही आरम्भ है' विषय पर रखे अपने विचार


नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम अभिनंदन मंच (ज्येष्ठ नागरिकों का सम्मान) के अंतर्गत कार्यक्रम में 'अंत ही आरम्भ है' से ज्येष्ठ नागरिको ने रखे अपने अपने विचार। कार्यक्रम के प्रमुख अथिति सागर बाला प्रसाद दुबे नागपुर  , विशिष्ट अतिथि कांता प्रसाद तिवारी नागपुर मंच पर उपस्थित रहे। इन अतिथियों का स्वागत विजय तिवारी, एडोकेट जगत वाचपेई, स्मृति चिन्ह अंगवस्त्र से स्वागत किया।
इस कार्यक्रम का आयोजन हिंदी मोर भवन रानी झांसी चौक में किया गया। 


कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया। सागर बाला प्रसाद दुबे ने सर्वप्रथम विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के आयोजकों का धन्यवाद दिया। जब एक दरवाजा बंद हो जाता है कही न कही से ऊपर वाला दूसरा दरवाजा खोल देता है। जहां अंत होता है वहीं से प्रारंभ होता है।

इस  कार्यक्रम में सर्वप्रथम राजेंद्र शुक्ला ने कोई भी व्यक्ति अपने आप में पूर्ण नहीं है। गोस्वामी तुलसी दास जी ने रामायण लिखकर समाज को मर्यादा का पालन करने की शिक्षा से अवगत कराया। धीरज हरिशंकर दुबे ने रामायण के प्रसंग रखकर अपने विचार व्यक्त किए। 

एडोवोकेट जगत वाचपेई ने कहा यजुर्वेद में अंत ही आरम्भ का उल्लेख किया गया। यहां तक की सभी धर्मों  में 'अंत ही आरम्भ है' की विस्तृत जानकारी दी गई है। पाषाण युग से लेकर वनमानुष से मनुष्य बना। महाभारत की कथा के द्वारा 'अंत ही आरम्भ है' विधिवत उदाहरण देकर अपनी बात रखकर श्रोताओं की जिज्ञासा का समाधान किया। 

हेमंत कुमार पांडेय ने 'अंत ही आरम्भ है' को अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। विजय तिवारी ने कहा हमेशा सच्चाई की राह पर चलो। कई उदाहरण देकर अपनी बात रखी। 
इस कार्यक्रम को सफलतार्थ हेतु आदर्श तिवारी, राजेश अग्रवाल, समीर ए पठान, संजय शर्मा, अविनाश शर्मा की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया। आभार  विजय तिवारी ने किया।
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