हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
संगोष्ठी का विषय 'हिंदी भाषा की समृद्धि : संभावनाएँ और चुनौतियाँ'
नागपुर/नई दिल्ली। भगिनी निवेदिता कॉलेज में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी दो सत्रों में विभाजित रही। जिसमें हिंदी भाषा की महत्ता पर चर्चा हुई। इस अवसर पर प्रतियोगी छात्र पदाधिकारियों को सम्मानित भी किया गया।
सत्र की शुरुआत् भारतीय संस्कृति के अनुरूप दीप प्रज्ववलन से की गई। विश्वविद्यालय कुलगीत के पश्चात भगिनी निवेदिता कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रूबी मिश्रा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने हिंदी की बात करते हुए कहा कि कोई भी भाषा सीखने में मनाही नहीं है किंतु हिंदी हमारी माँ है, हम सोंचने-समझने का कार्य अपनी मातृभाषाओं में करते हैं। भारतीय भाषाओं का जिक्र करते हुए प्रो. मिश्रा ने कहा भारतीय भाषाएँ आपस में जुड़ी हुई हैं।
इसी क्रम में विभाग प्रभारी डॉ. रीता नामदेव ने इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की संकल्पना एवं उसके आयोजन से जुड़े अनेक पहलुओं पर चर्चा की। संगोष्ठी के प्रथम सत्र के दौरान अतिथि वक्ता डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय, असम से आयीं डॉ. जोनाली बरुआ ने हिन्दीतर प्रदेशों में हिंदी की स्थिति पर वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा हिंदी हमारी धमनियों में संचारित होने वाली भाषा है। हिंदी का काम है सेतु बनाना जो निश्चित रूप से विभिन्न भारतीय भाषाओं को आपस में जोड़ती है। उन्होंने असम में हिंदी की स्थिति पर व्यापक चर्चा की। डॉ जोनाली बरुवा की 11वर्षीय बेटी आयुषी को प्रो. सुधा सिंह से मिला आशीर्वाद संगोष्ठी के वातावरण को वात्सल्य रस से सराबोर कर गया।
नवरात्रि के शुभ अवसर पर साक्षात कामाख्या देवी के आशीर्वाद स्वरूप यह कन्या दिवस के दोनों सत्रों में उपस्थित रही।सप्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रही दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. सुधा सिंह ने 'हिंदी भाषा एवं साहित्य का वैश्विक सन्दर्भ' विषय पर अपने विचार रखे। हिंदी भाषा के प्रसार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भाषा केवल सम्प्रेषण या व्यापार के लिए नहीं फैलती बल्कि उन मूल्यों के लिए भी फैलती है जो उसमें निहित होते हैं। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर अनिल राय ने अध्यक्षता की एवं किरोड़ीमल कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रो. बली सिंह अतिथि वक्ता के रूप में मौजूद रहे ।
प्रो बलि सिंह ने कहा यदि विधिवत गणना की जाए तो हिंदी सम्भवतः विश्व की सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है। उन्होंने संगोष्ठी के आयोजन पर हर्ष व्यक्त किया । अध्यक्षता कर रहे प्रो. अनिल राय ने 'हिंदी भाषा में शोध की नवीन संभावनाएँ' विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये। अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने कहा कि शोध कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है। शोध कार्य में आने से पूर्व धैर्य का गुण शोधार्थियों को विकसित करना चाहिए।
संगोष्ठी के अंतिम सत्र में सत्र 2024- 25 में विभाग द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया तथा सत्र 2024- 25 में छात्र पदाधिकारियों को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया गया। विभाग प्रभारी डॉ. रीता नामदेव ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन से संगोष्ठी का औपचारिक समापन किया। संगोष्ठी में भगिनी निवेदिता कॉलेज के शिक्षक, विभिन्न शोधार्थी एवं छात्राएं मौजूद रहे।