जिव्हाळा संस्था की ‘राहत किट’ से ज़रूरतमंदों के जीवन में आशा की किरण
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कड़ाके की ठंड में इंसानियत की गर्माहट
नागपुर/उमरखेड। इंटरनेशनल आइकॉन अवॉर्ड व ISO प्रमाणन प्राप्त जिव्हाळा संस्था, उमरखेड (जिला यवतमाल, महाराष्ट्र) के तत्वावधान में तथा गुंज संस्था, दिल्ली के सहयोग से उमरखेड में कड़ाके की सर्दी से राहत दिलाने के उद्देश्य से एक सराहनीय सामाजिक उपक्रम का आयोजन किया गया। इस उपक्रम के अंतर्गत अत्यंत ज़रूरतमंद निर्माण श्रमिक, श्रमिक महिलाएं, पुरुष श्रमिक एवं दिव्यांगजनों सहित 200 से अधिक परिवारों को राहत किट का वितरण जिव्हाळा संस्था के मार्गदर्शक रामराव मादावार के करकमलों द्वारा किया गया। इन राहत किटों में कपड़े, जूते-चप्पल, चटाइयाँ, बर्तन, तिरपाल तथा घरेलू उपयोग की आवश्यक सामग्री शामिल थी।
इस पहल से सर्दियों के कठिन दिनों में उपेक्षित व ज़रूरतमंद परिवारों को बड़ी राहत मिली और उनके जीवन में गर्माहट व सहारा प्राप्त हुआ। इस अवसर पर जिव्हाळा संस्था के अध्यक्ष श्री अतुल लताताई राम मादावार ने कहा कि, “आज उमरखेड में जिव्हाळा संस्था की ओर से कड़ाके की ठंड में अत्यंत ज़रूरतमंद व मेहनतकश महिलाओं एवं श्रमिक भाइयों के लिए राहत किट वितरित करते समय मन भावुक और कृतज्ञता से भर गया। ठंड के कारण किसी का जीवन और अधिक कठिन न हो, किसी को असहाय अवस्था में दिन न गुज़ारने पड़ें - इसी संवेदनशील भावना से जिव्हाळा संस्था का हर उपक्रम जन्म लेता है।
जिव्हाळा संस्था केवल एक संस्था नहीं, बल्कि इंसानियत की एक सशक्त मुहिम है। आज दी जा रही राहत किट केवल सामग्री नहीं, बल्कि अपनत्व की गर्माहट, सहारे की भावना और आशा की किरण है। समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक मदद का हाथ पहुँचाना, उनके दुःख में सहभागी होना और उनके चेहरे पर मुस्कान लाना - यही हमारा सच्चा उद्देश्य और सफलता है।” उन्होंने इस उपक्रम में सहयोग देने वाली गुंज संस्था, दिल्ली का आभार व्यक्त किया, साथ ही निस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले स्वयंसेवकों, पदाधिकारियों एवं उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का भी मनःपूर्वक धन्यवाद किया।
उन्होंने विश्वास जताया कि भविष्य में भी जिव्हाळा संस्था समाजसेवा की इस यात्रा को और अधिक मजबूती से आगे बढ़ाती रहेगी तथा हर ज़रूरतमंद को यह भरोसा देगी कि वह अकेला नहीं है। इस कार्यक्रम में संस्था के सदस्य रामराव मादावार, सलाहकार चंद्रकांत खेवलकर, श्रीमती संगीतां मादावार (मांजरे), तथा स्वयंसेवक रवि रामधनी, श्रीकांत शहा, विलास जंगले, आशिष मेशरे, दुर्गाजी जंगले, दीपक जंगले, दिनेश चव्हाण, मोहन गायकवाड सहित अनेक लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।