प्रत्येक के विचार सृष्टि मे अपनी छाप छोड़ते है
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- शरद गोपीदासजी बागडी, नागपुर, महाराष्ट्र
( अंतरराष्ट्रीय - राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त लेखक व समाज सेवी )
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जीवन मे पेंसिल के गुणधर्म अपनाये.....
मनुष्य के जीवन मे सुख - दुख, मान - अपमान, तकलिफे - समस्याएं, यश - अपयश आते जाते रहते हैं। हम हर परिस्थितियों को हम किस तरह से सकारात्मकता - नकारात्मकता से लेते, समझते है उसी पर हमारी जीवनकथा लिखी जाती हैं। बचपन मे हमारे शिक्षक, माता पिता, सहपाठी व आगे जीवन में हमारे मित्र, शुभचिंतक, मार्गदर्शक का रोल भी शार्पनर व इरेजर जैसे महत्त्वपूर्ण रहता है। हम हमारी तुलना पेंसिल से करते हैं।
पेसिंल : इसमें पांच ऐसे गुण हैं, जिन्हें
यदि तुम अपना लो तो तुम सदा इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकते हो।
याद रखें कि जीवन मे पेंसिल के साथ शार्पनर व रबर ईरेजर भी जरूरी होता है। शार्पनर समय समय पर पेंसिल को तेज करता है व रबर गलतियों को सुधरता है। अगर हम पेंसिल के पांच गुण-दोषों को समझकर पेंसिल को अपना गुरु बनाकर पेंसिल से कुछ सिखने की कोशिश करते हैं।
पहला १ गुण : पेंसिल को लिखने के लिए एक हाथ की आवश्यकता होती है। इसी तरह हमारे भीतर भी महान से महान उपलब्धियां प्राप्त करने की योग्यता है, किन्तु तुम्हें यह कभी भूलना नहीं चाहिए कि हमें एक ऐसे हाथ (मार्गदर्शक) की आवश्यकता है जो निरन्तर हमारा मार्गदर्शन करे। हमारे लिए वह हाथ ईश्वर (आत्मा) का हाथ है जो सदैव हमारा मार्गदर्शन करता रहता है।
दूसरा २ गुण : पेंसिल को लिखते, लिखते, लिखते बीच में रुकना पड़ता है और फ़िर शार्पनर से पेन्सिल की नोक बनानी पड़ती है। इससे पेन्सिल को थोड़ा कष्ट तो होता है, किन्तु बाद में यह काफ़ी तेज़ हो जाती है और अच्छी चलती है। इसी तरह हमारे जीवन मे हमें भी अपने दुखों, अपमान और हार को बर्दाश्त करना आना चाहिए, धैर्य से सहन करना आना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से हम एक बेहतर मनुष्य बन सकेंगे।
तीसरा ३ गुण : पेन्सिल हमेशा अपनी खुद की गलतियों को सुधारने के लिए रबर का प्रयोग करने की इजाज़त देती है। इसका यह अर्थ है कि यदि हमसे कोई गलती हो गयी तो उसे स्वीकार कर बल्कि ऐसा करने से हमें न्यायपूर्वक अपने लक्ष्यों की ओर निर्बाध रूप से बढ़ने में मदद मिलती है। हमारे माता पिता की डांट, सहपाठी, सहयोगी, शुभचिंतकों की आलोचना-निंदा को हम सकारात्मकता से लेकर हमारे व्यक्तित्व को निखार सकते है।
चौथा ४ गुण : एक पेन्सिल की कार्य प्रणाली में मुख्य भूमिका इसकी बाहरी लकड़ी की नहीं अपितु इसके भीतर के 'ग्रेफाईट' की होती है। ग्रेफाईट या लेड की गुणवत्ता जितनी अच्छी होगी,लेख उतना ही सुन्दर होगा। इसी तरह हमारे भीतर की पवित्र आत्मा, सबके लिए सकारात्मक, सात्विक सोच - विचार हमारे जीवन को यशस्वी, सफल बनाने में हमारी मदद करते हैं। इसलिए हमेशा अपने सोच विचार पर अंकुश रखते हुए अपने विचारों के प्रति सजग रहना चाहिए
अंतिम पांचवा ५ गुण : पेन्सिल सदा अपना निशान,छाप छोड़ देती है। ठीक इसी प्रकार हम कुछ भी कार्य, सोच, विचार, व्यवहार करते हो तो हम भी प्रकृति, सृष्टि मे अपना निशान, छाप छोड़ देते हो। अतः सदा ऐसे कर्म करो जिन पर हमें लज्जित न होना पड़े अपितु तुम्हारा और हमारे परिवार, सहयोगियों, मित्रों का सिर गर्व से उठा रहे। अतः हमें अपने प्रत्येक कर्म, सोच, विचार के प्रति सजग रहो।