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सरकार और समाज के बीच की कड़ी हैं ग्रामदूत : मालवीय



ग्रामायण प्रतिष्ठान के सेवागाथा कार्यक्रम

नागपुर। आदिवासी जनजातियों का पारंपरिक ज्ञान भावी पीढ़ी में प्रेषित करना समय की आवश्यकता है. इसके लिए सर्वसमावेशक  दृष्टिकोण के साथ समाज, सरकार और एनजीओ (स्वयंसेवी संस्थाओं) को मिलकर काम करना चाहिए. इस संकल्पना के साथ ग्रामदूत कार्यरत हैं. वे सरकार और समाज के बीच एक कड़ी का काम करते हैं. उक्त प्रतिपादन राजेश मालवीय ने किया. 

वे ग्रामायण प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित की गई सेवागाथा श्रृंखला के पांचवें भाग में प्रमुख अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. अपना सामाजिक संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामदूतों का उद्देश्य है कि सरकार और समाज के बीच कड़ी के रूप में कार्य करने वाले स्थानीय युवक, स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ता तैयार हों. 

उन्होंने बताया कि खेती और नौकरी करते हुए समाज कार्य करने वाले स्वयंसेवक कार्यकर्ता बड़ा काम कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन देने के लिए वार्षिक सम्मेलन व प्रशंसनीय पुरस्कार कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है. आदिवासी क्षेत्र में सरकार की योजनाएं प्रत्यक्ष जरूरतमंदों तक पहुंचाने के  लिए स्वयंसेवक कार्यकर्ता परिश्रम करते हैं. 

यह बताते हुए उन्होंने प्रत्यक्ष कार्यक्षेत्र में अपने अनुभव भी साझा किए. सर्वप्रथम दीपिका धनीश्वर ने उनसे प्रश्न पूछकर साक्षात्कार की शुरुआत की. मालवीय ने अपने कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि भाषा की दिक्कत को पहचान कर स्थानीय युवकों को प्रशिक्षित किया गया. ऐसा करते समय शिक्षा की शर्त नहीं रखी. उपजीविका के प्रश्न के साथ कार्य की शुरुआत की. 

आदिवासी समाज की अपनी एक व्यवस्था है. खाद्यान्न सुरक्षा प्राथमिकता थी तथा यह जरूरत पूरी होने के बाद विकास के अन्य मुद्दों पर उनका ध्यान जाने लगा. कोरोना काल में सहायता का कार्य जारी है. उन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध कराए गए. उन्होंने बताया कि इसके लिए गांव के लोगों का सक्रिय सहभाग आवश्यक है. विशेष रूप से मुक्त विद्यापीठ के पाठ‍्यक्रम का उपयोग कर सामाजिक कार्य व आर्थिक आय में सामंजस्य स्थापित किया. 

राजेश कुमार मालवीय राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास के साथ ही युवक कल्याण संस्था के उपाध्यक्ष हैं. विगत 23 वर्षों से सामाजिक एवं आदिवासी विकास के क्षेत्र में कार्यरत हैं. महिला एवं युवाओं के साथ ही प्रौढ़ शिक्षा, बाल श्रमिक, आदिवासी, ग्रामीण क्षेत्र में अशुद्ध पानी का व्यवस्थापन, आपत्ति व्यवस्थापन इत्यादि क्षेत्रों में उनका उल्लेखनीय योगदान है. वे मार्गदर्शक के रूप में भी प्रसिद्ध हैं. फेसबुक लाइव के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं ने प्रश्न पूछे और मालवीय ने उनके प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर दिए.

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