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नए भारत मे साहित्य की दिशा पर व्याख्यान संपन्न



नागपुर/वर्धा। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में बोधिसत्व बाबासाहेब ई - ज्ञान श्रृंखला के अंतर्गत नए भारत मे साहित्य की दिशा विषय पर प्रसिद्ध साहित्यकार एवं पश्चिम बंगाल पूर्व राज्यपाल पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा है कि सकारात्मक दिशा में साहित्य सृजन कर भारत को श्रेष्ठ, सशक्त और समरसता का भारत बनाने के लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर काम करना चाहिए, इससे ही नए भारत का उदय होगा। 

ज्ञान - विज्ञान के साथ - साथ आर्थिक शक्ति को गति देने के लिए साहित्यकारों को आगे आना चाहिए और समस्याओं का व्यावहारिक हल निकालने के लिए कृतसंकल्प होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शक्तिशाली भारत के निर्माण में राष्ट्रीय एकता और सर्वधर्म समभाव की संस्कृति को अपनाकर वसुधैव कुटुंब की मूल भावना के साथ हमारा साहित्य देश और दुनिया को दिशा दे सकता है। 

उन्होंने भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वर्णिम अतित भविष्य का आधार होता है। हमारी संस्कृति में चिकित्सा साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। भारतीय उपचार पद्धति को हमें जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। साहित्य के माध्यम से हमें संस्कृति, ज्ञान और क्षमता को बढ़ावा देना चाहिए। 

उन्होंने विश्वास जताया कि राष्ट्रीय हित को सर्वोपरी रखकर हम नये भारत को स्वर्णिम, शक्तिशाली, सुदृढ एवं सशक्त भारत बनाने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ेंगे तभी हम भविष्य को स्वर्णिम भारत बनाने में कामयाब होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि साहित्य परिवर्तन का वाहक होता है। हम अपनी शक्ति के आधार पर दुनिया को दिशा दे सकते हैं।  

उन्होंने कहा कि साहित्य से केवल हंगामा खड़ा करने का यत्न न हो बल्कि साहित्य के द्वारा नेह, ममता और भारतीय मूल्यों की सर्जना भी हों। उनका कहना था कि नए भारत में साहित्य की दिशा पर विचार करते समय सभी भारतीय भाषाओं को संस्कृति के आलोक में देखने की आवश्यकता है।  उन्होंने पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी के प्रति आभार जताते हुए कहा कि उनके विचारों से हमें अपरिहार्य पाथेय प्राप्त हुआ है। 

कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य एवं परिचय बोधिसत्व बाबासाहब ई - ज्ञान श्रृंखला के संयोजक जनसंचार विभाग के अध्यक्ष आचार्य कृपाशंकर चौबे ने दिया। आभार ज्ञापन जनसंचार विभाग के सहायक प्राध्यापक, श्रृंखला के सह संयोजक संदीप कुमार वर्मा ने किया। इस ऑनलाइन व्याख्यान में विभिन्न विश्वविद्यालयों के अध्यापक, शोधार्थी तथा विद्यार्थियों ने सहभागिता की।

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