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परमात्मा की भक्ति करने राह खुशियों में बदल जाती हैं : आचार्यश्री गुप्तिनंदी जी




नागपुर। परमात्मा की की भक्ति करने से परमात्मा की राह चलने से खुशियों में बदल जाती हैं यह उदबोधन प्रज्ञायोगी आचार्यश्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव ने वर्चुअल भगवान पार्श्वनाथ के महामस्तकाभिषेक में कहा. कचनेर में भगवान पार्श्वनाथ का ऑनलाइन महामस्तकाभिषेक संपन्न हुआ. पारसनाथ भगवान की अतिशयकारी प्रतिमा हैं. संपूर्ण महाराष्ट्र, संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध हैं. कार्तिक पूर्णिमा तक डेढ़ - दो लाख पदयात्री प्रतिवर्ष पहुचते हैं. कोविड - 19 के कारण सरकार ने इस वर्ष पदयात्रा की अनुमति नहीं दी लेकिन ऑनलाइन अभिषेक अनुमति दी. 

गणाधिपति गणधाराचार्य कुंथुसागर जी गुरुदेव के आशीर्वाद से प्रज्ञाश्रमण सारस्वताचार्य देवनंदी जी गुरुदेव के मार्गदर्शन में प्रज्ञायोगी आचार्यश्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव ससंघ के सानिध्य में मुख्य उपस्थिती में आचार्यश्री सच्छिदानंदी जी, गणिनी आर्यिका क्षमाश्री माताजी आदि अन्य साधुओं की उपस्थिती में भगवान का महामस्तकाभिषेक किया गया. 

आचार्यश्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव ने कहा भगवान पार्श्वनाथ का जीवन बतलाता हैं जितनी आपकी क्षमता होगी, उतनी क्षमता बढ़ेगी. कमठ दुख देनेवाला हैं. जो दुख देता हैं उसे दुख ही मिलता हैं, उसका महापतन होता हैं. जो दुख सहता हैं, जो दुख नहीं देता उसे आगे दुख नहीं मिलता. भगवान पार्श्वनाथ कहते हैं जीवन में जितनी परेशानी हो वह चिंता करने से और बड़ी हो जाती हैं, खामोश होने से बहुत कम हो जाती हैं. 

भगवान पार्श्वनाथ की महिमा बताते हुए कहा पार्श्वनाथ की जब कृपा होती हैं तब दुख के बादल खुशियों में बदल जाते हैं. सच्चे मन से पुकारे तो भगवान ही पार लगाते हैं. संसार में जो अमीर हैं वह भी रोता हैं. जो चिंतामणी पारसनाथ की भक्ति में लगा रहता हैं वह ही चैन की नींद सोता हैं ऐसा अतिशय चिंतामणी पार्श्वनाथ का देखा हैं. भगवान पार्श्वनाथ कहते हैं दर्द एक संकेत हैं तुम जिंदा हो, समस्या एक संकेत हैं. तुम मजबूत हो प्रार्थना एक संकेत हैं, तुम अकेले नहीं हो, परमात्मा तुम्हारे साथ है यही साक्षात अतिशय कचनेर में देखने मिलता हैं.
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