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व्यवस्था और विसंगतियों से मुठभेड़ हो व्यंग्य में : आजाद




व्यंग्यधारा की 31वीं ऑनलाइन गोष्ठी में तेतरबे, वर्मा, चमोली, सरल ने किया व्यंग्यपाठ  


नागपुर। सामाजिक सरोकार और संवेदना के साथ व्यवस्था और विसंगतियों से मुठभेड़ व्यंग्य में परिलक्षित होना चाहिए। दुर्भाग्य से आज व्यंग्य के केंद्र में व्यवस्था और सत्ता नहीं है। यह बात व्यंग्यधारा की आनलाइन गोष्ठी में व्यंग्यकार टीकाराम साहू ‘आजाद' ने कही। 

व्यंग्यधारा की 31वीं ऑनलाइन गोष्ठी टीकाराम साहू ‘आजाद' की अध्यक्षता में हुई, जिसमें बीकानेर के डॉ प्रमोद कुमार चमोली, लखनऊ के राजेन्द्र वर्मा, रांची के दिलीप तेतरबे और रायपुर के वीरेंद्र सरल ने व्यंग्यपाठ किया। जबलपुर के वरिष्ठ व्यंग्यकार रमेश सैनी ने कहा कि यह समूह व्यंग्य विधा पर सार्थक चर्चा चाहता है, ताकि विधा विकसित हो। 

अपने समय के सच को सामने लाने का काम व्यंग्यकार का है। यदि उसने इसमें कोताही बरती, डरा तो फिर पाठक, पीढ़ियां क्षमा नहीं करेंगी।डॉ. रमेश तिवारी, दिल्ली ने व्यंग्य विधा में आ रहे बदलावों पर अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि व्यंग्यकार को सच के साथ खड़े होने में संकोच नहीं करना चाहिए। आज विसंगतियों पर रचनात्मक दृष्टि और प्रहार द्वारा व्यंग्यकार को निरंतर लिखने की आवश्यकता है। 

डॉ प्रमोद चमोली ने ‘राम नाम सत्य है' व्यंग्य का पाठ किया। लेखक और आम आदमी में कम हो रही संवेदना पर इस रचना में करारा प्रहार था। राजेन्द्र वर्मा ने अपने व्यंग्य ‘घोड़ा, घास और आदमी' में राजनीति से पिसती जनता के दर्द को प्रतीकों के माध्यम से अभिव्यक्त किया। ‘आई कांट स्पेयर यू' व्यंग्य के जरिये दिलीप तेतरबे ने समसामयिक राजनीतिक समस्याओं पर करारा तंज किया। 

किसान आंदोलन, कनाडा की टिप्पणी आदि विषयों को उन्होंने छुआ। वीरेंद्र सरल ने अपने व्यंग्य 'पुरस्कार प्रपंच' में शिक्षा के व्यवसायीकरणऔर फर्जी डिग्री की समस्या के साथ पुरस्कार के लिए होने वाले प्रपंच पर कटाक्ष किया। पढ़े गए व्यंग्यों पर राजशेखर चौबे, रेणु देवपुरा, स्नेहलता पाठक, अभिजीत दुबे, अनूप शुक्ल ने समीक्षात्मक टिप्पणी की। बीकानेर के मधु आचार्य ने कहा कि व्यंग्यकार को अपने समय का सच कहना चाहिए. अगर उससे मुंह मोड़ा तो आने वाली पीढ़ी के गुनाहगार होंगे।  

व्यंग्य गोष्ठी में हनुमान मुक्त, बलदेव त्रिपाठी, प्रभाशंकर उपाध्याय, अरुण अर्णव खरे, संजय पुरोहित, मुकेश राठौर, डॉ. महेन्द्र कुमार ठाकुर, श्रीमती वीना सिंह, अलका अग्रवाल सिगतिया, कुमार सुरेश, विवेक रंजन श्रीवास्तव, सुधीर कुमार चौधरी, नवीन जैन आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। आभार प्रदर्शन डा. रमेश तिवारी ने किया।
साहित्य 9136083280597589979
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