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कार्डियालाजीकल सोसायटी ऑफ इण्डिया विदर्भ कार्यकारीणी घोषित



नागपुर। कार्डियालाजीकल सोसायटी ऑफ इण्डिया, विदर्भ शाखा ने हाल ही मे पारीत खुली आमसभा मे सत्र 2021 - 2022 के लिये नियुक्त कार्यकारीणी की घोषणा की। टीम के सदस्य इस प्रकार है : अध्यक्ष डॉ. सतीश पोशट्टीवार, सचीव - डॉ. पराग आदमाने, निर्वाचित अध्यक्ष 2022 - 23 डॉ. अनिल जवाहिरानी भूतपूर्व अध्यक्ष - डॉ.अमोल मेश्राम, भूतपूर्व सचीव - डॉ. पुष्कराज गडकरी उपाध्यक्ष - डॉ. विपूल सेता आणि डॉ. पंकज हरकुट, सहसचीव - डॉ.अमर आमले आणि डॉ. मनीष जुनेजा कोषाध्यक्ष मोहन देशपांडे कार्यकारी समिती सदस्य- डॉ.अच्युत खांडेकर, डॉ. अजय कडुस्कर, डॉ. अविनाश शर्मा, डॉ. दिपक साने, डॉ. गजेन्द्र मानक्षे, डॉ.इरशाद पठाण, डॉ. जयंत वाणे, डॉ.काशिफ सईद, डॉ. किरण सोमकुंवर, डॉ. निधीश मिश्रा, डॉ. पंकज राऊत, डॉ. राजेश अटल, डॉ. ऋषिकेश उमाळकर, डॉ. ऋषि लोहिया, डॉ. संजय गीडवानी, डॉ. सौरभ वर्षणेय, डॉ. संजय राऊत, डॉ. सुनिता कुंभलकर, डॉ. स्वप्नील देशपांडे आणि डॉ. विराग माहुरकर, इस के सिवाय जिल्हा प्रतिनीधी इस प्रकार है अमरावती डॉ. पवन अग्रवाल, वर्धाः डॉ. हर्षल पावडे, गोंदिया : डॉ. मनोज चव्हाण, अकोला डॉ. दिपक बोहरा बुलढाणा : अमोल कोथलकर 

नयी कार्यकारीणी ने अपनी कार्यकाल 2021 - 22 की दृष्टी एवं संकल्पना जाहीर की है। हृदय व रक्तवाहिनी संबधी रोग भारत मे मृत्य का मुख्य कारण है।. अधुरी रक्तापूर्ती के कारण सर्व मृत्यू के एक चौथाई लोगो मे हृदय विकार का दौरा तथा मस्तिष्क मे पक्षाघात (स्ट्रोक) जिम्मेदार होता है।80 प्रतिशत से भी अधिक मृत्यू का कारण अवरूध्द रक्तवाहिकाओ मे रक्तसंचार संकोच व परीणामतः हृदयाघात व पक्षाघात रहता है।

(इस्केमिक हार्ट डिसीज और स्ट्रोक) वैश्विक अध्ययन मे रोग के सामाजिक बोझ के सर्वेक्षण के अनुसार भारत मे प्रति 100000 लोकसंख्या नुसार उम्र - प्रमाणित हृदय व रक्तवाहिकाओं के मूल रोग के कारण (कार्डियोव्हास्कुलर डिसीज) मृत्यू होने का प्रमाण 272 पाया गया है, जो विश्व मे औसतन 235 प्रति 100000 लोकसंख्या से कई जादा है। भारत देश मे कार्डियोव्हास्कुलर डिसीज महामारी एक चिंतनीय बात के कुछ विशिष्ट कारण होते है। जिसमे जनसंख्या मे कम उम्रमे महामारी बिमारी लगने, उच्चतम मृत्यू दर प्रमाण पाया गया है। 

युरोपियन वंश के लोगों के तुलना मे ऐसी कमजोर रक्ताभिसरण रोगो के कारण भारतीय जनता में कम से कमी 1 दशक पहले तथा उत्पादकता के मध्यमवर्गीय वर्षों को प्रभावित करत है। उदाहरणार्थ, पाश्चिमात्य लागों मे केवल 23 प्रतिशत मृत्यू 70 वर्ष आयु पार करने पूर्व है जो हमारे देश मे यह संख्या 52 प्रतिशत पाई जाती है। वर्तमान में हृदयरोग व रक्ताभिसरण विकारों की समाजमे व्यापाकता और भारत मे मृत्यू दर के धर्मनिरपेक्ष रूझानो पर कोई राष्ट्रीय प्रतिनिधी निगरानी डेटा उपलब्ध नहीं है। 

तथापि, हालही में भारत मे किये गये 3 बडी अध्ययन मे प्राप्त अहवाल के अनंसार हृदयविकार का दौर (30 से 42 प्रतिशत) मृत्यू दर जादा रहने का सूचित हुवा है। एकत्रित रूप में हृदय रूधिराभिसरण व पक्षाघात सर्व मृत्यू के की पाचवा हिस्सा (21.1 प्रतिशत) से उपर जिम्मेदार पाया है। इस वर्ष कार्डियालॉजीकल सोसायटी ऑफ इण्डिया के विदर्भ शाखाने हृदयविकार का दौरा तथा स्ट्रोक से बचाव के लिये युवाओं मे जागरूकता बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। 

इसमे उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के स्तर जैसे जोखिम वाले कारकों के लिए स्कीन किया जा सके। उनके लिए डिजीटल प्लॅटफार्म एवं वेबीनार आयोजित करनेका उद्दीष्ट समावीष्ट है। युवाओं को स्वस्थ जीवन शैली, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और धूम्रपान छोडने के लिए प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखते है। पाठशालाए और महाविद्यालयों के सहयोग से ऑनलाईन वेबिनार आयोजित किये जाएंगे ताकि वे निरोगी जीवनशैली अपना सकेंगे। 

हम अपने साथी सामान्य चिकित्सकों को इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए मार्गदर्शन और प्रशिक्षित करना जाहते है और आने वाले वर्षों में इस गतिविधि का संचालन करेंगे। विदर्भ के दुर्गम प्रभागो में 'टेलिमेडिसीन' केन्द्रे प्रस्थापित करने का भी हम इरादा रखते है ताकि यह कार्यक्रम को वैश्विक उपयोगिता प्राप्त होगी।

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