नागपुर में देश का सबसे बड़ा दूषित पानी ट्रीटमेंट प्लांट शुरू
नागपुर। देश में पहली ही बार दूषित पानी का ट्रीटमेंट कर उस पानी को पावर प्लांट तक पहुंचाने का प्रोजेक्ट नागपुर के विश्वराज एन्वायर्नमेंट प्रा. लिमिटेड ने साकार किया है। यह पब्लिक प्राइटेव पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल देश का इकलौता सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है जिसमें 200 एमएलडी दूषित पानी पर ट्रीटमेंट कर उस पुनः उपयोग के काबिल बनाया जा रहा है।
देश के सबसे बड़े इस प्रोजेक्ट में दूषित पानी का ट्रीटमेंट करने के बाद पॉवर प्लांट में रोजाना उपयोग किए जाने वाले 20 करोड़ लीटर पीने के पानी की बचत होगी। इस एसटीपी से पॉवर प्लांट तक पानी पहुंचाने के प्रोजेक्ट को निर्धारित अवधि से 9 महीने पहले ही साकार कर लिया गया। अब यह पानी नागपुर शहर को मिल सकेगा। इन उपलब्धियों के लिए नागपुर के विश्वराज एन्वायरमेंट को गत दिनों वर्चुअली तौर पर फिक्की वॉटर अवार्ड 2020 से नवाजा गया।
नागपुर शहर में रोजाना 700 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है, ऐसे में 80 प्रतिशत अर्थात 550 एमएलडी दूषित पानी बन कर नदियों व नालों में मिल जाता है। हाईकोर्ट ने नागपुर महानगरपालिका को दूषित पानी के ट्रीटमेंट का निर्देश दिया है। पीपीपी मॉडल आधार पर मनपा ने मे. विश्वराज एन्वायरमेंट प्राइवेट लिमिटेड से 30 वर्ष के लिए करार किया। दूषित पानी की प्रक्रिया करने के बाद रिसाइकल पानी को महाजेनको के दो पॉवर प्लांट को दिया जाएगा।
जून 2018 में 200 एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्यान्वयन हुआ। यहां के रिसाइकल किए हुए 190 एमएलडी पानी का उपयोग महाजेनको के खापरखेड़ा और कोराडी प्लांट में किया जाना था। लेकिन शहर की घनी आबादी वाले क्षेत्र से गुजरकर 1500 मिमी मोटाई की पाइप लाइन डाले जाने की सबसे बड़ी चुनौती थीं। लेकिन विश्वराज एन्वायर्नमेंट प्रा. लिमिटेड ने इसे 9 महीने पहले ही पूरा कर लिया।
कंपनी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक अरुण लखानी ने अवार्ड मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि नागपुर के पीपीपी मॉडल पर तैयार हुआ यह प्रोजेक्ट, आज हर शहर की आवश्यकता है। इस प्रोजेक्ट के साकार होने से शहर के नागरिकों को 30 से 35 वर्ष तक पर्याप्त पानी मिल सकेगा।