स्वेज नहर समुद्र में 7 दिन ट्रैफिक जाम रहा - स्वेज कैनाल अथॉरिटी ने लगाया नुकसानी का हिसाब - अब हर्जाने की मांग
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भारत के आयात निर्यात वाले काफी जहाज स्वेज नहर से होकर गुजरते हैं - जाम और बढ़ता तो महंगाई बढ़ती - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में हमने अपने - अपने शहरों, नगरों में अक्सर रोड पर जाम लगने का नजारा बहुत बार देखा है, जिसमें ट्रैफिक पुलिस पर दबाव और नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि हर व्यक्ति को बहुत जल्दी रहती है ताकि फलां काम करने में देर ना हो जाए। अभी 23 मार्च 2021 को भारत से लगभग साढे चार हज़ार किलोमीटर दूर मिस्र देश की स्वेज नहर में जापान की कंपनी एवरग्रीन मैरीन क्रॉप्स का एवरग्रीन नामक जहाज जो के 400 मीटर लंबा समुद्रीमालवाहक जहाज जिस पर 25 भारतीयों का एक क्रू भी सवार था,
स्वेज नहर के दक्षिणी हिस्से में फंस जाने के कारण इस महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग से आवाजाही करीब 7 दिन तक बंद रही थी और अब वह निकल चुका है। यह आर्टिकल तैयार करनेमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ समाचार बुलेटिन और साइट्स की सहायता ली गई है स्वेज नहर मिस्र के आधिपत्य में है और वहां से जहाजों की आवाजाही का प्रबंधन व मेंटेनेंस का काम वहीं करता है। उसका कहना है कि सात दिन तक यह पोत फंसा रहने के कारण उसे भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
इससे इस अहम नहर के जरिए होने वाला समुद्री परिवहन ठप पड़ गया था ऐसा अनुमान था कि इस जहाज को निकलने में कई हफ्ते लगेंगे, जिससे यूरोप और एशिया के बीच होने वाला व्यापार तो प्रभावित होता ही साथ ही कच्चे तेल की कीमतें भी बढ़ जातीं, लेकिन बड़ी बात ये है कि सिर्फ 7 दिनों में ही ये जहाज वहां से निकल गया,इसे निकालने के लिए 13 टग बोट्स की मदद ली गई थी, टग बोट छोटी लेकिन काफी शक्तिशाली नाव होती है, जो बड़े - बड़े जहाजों को खींच कर एक जगह से दूसरी जगह ले जाती हैं।
इसके अलावा इसे निकालने के लिए खास मशीनों का भी इस्तेमाल हुआ, जिन्होंने जहाज के नीचे से 30 हजार क्यूबिक मीटर मिट्टी और रेत खोदकर निकाली।हालांकि नहर में फंसे इस जहाज को बाहर निकालने में ऊंची लहरें सबसे ज्यादा मददगार साबित हुईं, वो इसलिए क्योंकि, समुद्र में हाई टाइड आया हुआ था और जब ऐसा होता है तो समुद्र के पानी का स्तर बढ़ जाता है और ऊंची-ऊंची लहरें उठने लगती हैं, इसी से ये जहाज जिस जगह पर धंसा हुआ था,वहां से ऊपर उठ कर तैरने लगा है और अब ये पूरी तरह बाहर निकल चुका है।
ये नहर भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तरी अमेरिका दक्षिणी अमेरिका और यूरोप कॉन्टिनेंट से आने वाले जहाज इसी नहर से होकर गुजरते हैं और स्वेज नहर से भारत हर साल लगभग 14 लाख करोड़ रुपये का आयात निर्यात करता है। इनमें कच्चे तेल के अलावा, कपड़े, गाड़ियां, मशीनें और केमिकल्स अहम हैं।यानी इस ट्रैफिक जाम की वजह से इन चीजों की कमी हो सकती थी और इनकी कीमतें भी आसामन छू सकती थी।क्योंकि, ये वो नहर है जिसमें सिर्फ एक जहाज के फंसने से दुनियाभर के कुल व्यापार का 10 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित हुआ है और मिस्र को पिछले 7 दिनों में 700 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो चुका है। यानी इस ट्रैफिक जाम की कीमत हर दिन लगभग 100 करोड़ रही है और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात ये है कि इस एक नहर के बंद होने से कच्चे तेल के कारोबार में उथल पुथल मची हुई थीं।
मिस्र मौजूदा घटनाक्रम को मामूली नहीं मान रहा है और उसने इसकी जांच शुरू कर दी है। जांच इस बात की हो रही है कि ये जहाज स्वेज नहर में कैसे फंसा। एक दलील तो ये है कि तेज रफ्तार हवाओं की वजह से जहाज की दिशा बदली और ये तिरछा हो कर वहां फंस गया और दूसरी आशंका ये है कि इसमें जहाज के क्रू मेंबर्स से कोई गलती हुई, जो भारतीय हैं। हालांकि अब यह मालवाहक जहाज निकाला जा चुका है फिर भी, स्वेज कैनाल अथॉरिटी का कहना है कि मोटे तौर पर उसे सात दिन में करीब 1 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।
अथॉरिटी यहां से गुजरने वाले पोतों से पारगमन शुल्क वसूलती है। इसके अलावा फंसे जहाज को निकालने के दौरान भी काफी नुकसान व यांत्रिक खर्च हुआ। उपकरणों व श्रमिकों की लागत भी लगी।यह सब जोड़कर संबंधित कंपनी से हर्जाना वसूला जाएगा। अथॉरिटी के ओसामा रैबी ने बुधवार को मिस्र के एक स्थानीय टीवी चैनल को यह जानकारी दी।
हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि हर्जाने की राशि किससे वसूली जाएगी, लेकिन अनुमान है कि पनामा की कंपनी एवरग्रीन कोही इस बारे में नोटिस दिया जाएगा और आगे की कार्यवाही की जाएगी लेकिन इस संबंध में कुछ भी अभी खुलासा नहीं हुआ है यह समय का चक्र है और समय ही आगे बताएगा की क्या कार्रवाई की जाती है और उसका क्रिया माने किस तरफ किस तरह होता है लेकिन यह राहत की बात है कि मालवाहक जहाज स्वेज नहर से निकल चुका है और गतिविधियां सामान्य हो गई है।
संकलनकर्ता - कर विशेषज्ञ
- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया (महाराष्ट्र)