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कुओं की स्थिति भयावह


शहर के 854 सार्वजनिक कुओं का पानी पीने लायक नहीं

नागपुर। हर वर्ष गर्मी में पानी की समस्या मुंह बाहें खड़ी रहती है।  कई जगह टैंकरों से पानी की आपूर्ति करनी पड़ती है। शहर में 24x7 की योजना पर काम हो रहा है। वही दूसरी तरफ शहर का वैभव व शहर की पानी की जरूरतों तो पूरा करने वाली सैकड़ों कुएं आज अपनी स्थिति पर आसू बहा रहे है। नागपुर महानगर पालिका की रिकॉर्ड के अनुसार शहर में कुल 854 सार्वजनिक कुएं है। इस कुओं की स्थिति एसी है की इसमें से एक भी कुएं का पानी पीने योग्य नहीं है। इतनी भयंकर स्थित आज शहर की है। जीरो माइल फाउंडेशन के सदस्य और जल मित्र डॉ. प्रवीण डबली ने मांग की है कि मनपा प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कुओं की स्थिति से अवगत कराना चाहिए और उन्हें पुनर्जीवित कर पीने योग्य बनाना चाहिए।

डॉ प्रवीण डबली ने बताया कि शहर में कुएं तो है, लेकिन पानी पीने योग्य नहीं है। शहर में कुल 10 जोन है। जिसमे हर जोन में सार्वजनिक कुएं है। लक्ष्मीनगर जोन में 83, धरमपेठ जोन में 91, हनुमाननगर जोन में 54, धनतोली जोन में 70, नेहरूनगर जोन में 85, गांधीबाग जोन में 154, सतरंजीपुरा जोन में 94, लकड़गंज जोन में 74, आसीनगर जोन में 104 व मंगलवारी जोन में 45 सार्वजनिक कुएं है। सभी 10 जोन मिलाकर नागपुर शहर में 854 सार्वजनिक कुएं होने की जानकारी मिली है। इसमें घरों में स्थित निजी कुओं की जानकारी उपलब्ध नहीं है। उपरोक्त कुओं में से  एक भी कुएं का पानी पीने योग्य नहीं है।
आप कल्पना करे यही भविष्य में कभी पानी की किल्लत हो जाए तो हमारे पास पानी कहा होगा। फिर हम प्यास लगने पर कुआं खोदने लगेगे।

मिली जानकारी की अनुसार इन 854 कुओं की सफाई व इसकी देखभाल कई वर्षो से नही हुई। इन 854 कुओं में से कुछ कुओं के पानी का उपयोग बाहरी जरूरतों को पूरा करने के लिए करते है। डॉ. डबली ने बताया की इन सब कुओं के पानी की जांच जरूरी है। इन कुओं के देखरेख मनपा प्रशासन के पास है। जानकारी की अनुसार इनमे से अधिकतर कुओं में भरपूर पानी है, जो कही इस्तेमाल हो रहा है और कही नही। देखभाल नहीं होने से सभी कुओं के पानी की गुणवत्ता खराब हुई है। जिसका खामियाजा शहर की जनता को भोगना पड़ रहा है। कुओं को इस स्थिति में पहुंचने का जिम्मेदार कोन है? यह चिंतन का विषय है।

स्थानीय नागरिकों से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया की कई वर्षो से इन कुओं के पानी की जांच नही की गई है। इसलिए यह पानी नहीं पीते है। कई  निचली बस्तियों में पानी की समस्या होने पर मजबूरन इन्हीं कुओं का पानी पीने मजबूर होना पड़ता है। मजबूरन कुएं का पानी पीने वाले लोग पीलिया, गैस्ट्रो जैसी बीमारी का शिकार हो रहे है। कुओं के पानी की जांच कर, कुओं की सफाई कर कुओं को पुनर्जीवित कर पानी को पीने योग्य करने की मांग डॉ. प्रवीण डबली ने मनपा आयुक्त, महापौर से की है।

कुओं पर लगे है 333 पंप

शहर के 854 में से कई कुओं पर करीब 333 मोटर पंप लगे है। जिसमे से कई बन पड़े है तो कई पंप की चोरी हो गई है। इन पंप के माध्यम से करीब 24623 घरों को पानी का लाभ होने की जानकारी मनपा द्वारा दी गई । वहीं 82065 लोगो को इसका लाभ होने की बात कही गई है। इन सारे पंप का लाखो रूपयो का बिजली बिल भी मनपा द्वारा ही भरा जाता है। पंप से कुछ क्षेत्रों में कुछ प्रमाण में पानी की समस्या हल हुई है। सबसे अधिक पंपों की संख्या गांधीबाग जोन में है। जहा 50,000 लोगो को इसका फायदा होने का दावा किया जा रहा है।

सभी कुओं पर लगे जाली

डॉ. डबली ने बताया की कई कुओं में गैर जिम्मेदाराना लोग नासमझी की वजह से कुओं में कचरा डालते है। जिससे भी पानी खराब होता है। कुएं पर जाली लगाने से कुएं के पानी को गंदा होने से बचाया जा सकता है। हर 2 वर्षो में कुएं की सफाई व पानी के गुणवत्ता की जांच प्रशासन द्वारा की जानी चाहिए। झोपड़पट्टी व निचली बस्तियों में लोग कुएं पर बर्तन भी धोते हैं, कपड़े भी धोए जाते हैं, लोग खुद भी नहाते है, गाय-भैंसों को भी नहलाते हैं। यह सारी गंदगी अन्दर चली जाती है। इसी प्रकार पानी कुओं से भी लिया जाता है जो ज्यादा गहरे नहीं होते और खुले छोड़ दिये जाते हैं। हवा के साथ इसमें धूल, मिट्टी, पत्ते, पक्षी की बीट इत्यादि जाकर गिरती है और पानी को प्रदूषित करती है। कुछ गांवों में हैंडपंप की सुविधाएं दी गई हैं, परन्तु उसके ऊपर की गोलाई में कीचड़ व कूड़ा करकट पड़ा होता है। वहां से गंदा पानी धीरे-धीरे जमीन में रिसकर स्वच्छ पानी को खराब कर देता है। फिर वह पानी पीने योग्य नहीं रह जाता।

सच पूछिए तो इसके बारे में आम लोगों को जानकारी भी नहीं है। गंदगी में जो रोग के जीवाणु होते हैं, वे आंख से दिखते नहीं, केवल माइस्क्रोस्कोप से दिखते हैं। इसी गंदगी की वजह से और इसके रोग के जीवाणुओं से बहुत सी बीमारियां होती हैं जैसे दस्त, पेचिस, हैजा, टाइफाइड, पीलिया, नारू और भी कई आंत संबंध रोग पानी से होने वाली बीमारियों के नाम से जाने जाते हैं। पानी से पैदा होने वाले रोग जो कि जल-जनित बीमारियाँ कहलाती हैं पानी के दूषित होने के कारण ही फैलते हैं। जो कि क्षेत्र में तमाम आबादी को प्रभावित करती हैं।

निजी कुओं का पानी भी हो रहा दूषित

कई क्षेत्रों में गडर पाइप लाइन के वजह से निजी कुओं का पानी भी दूषित हो रहा है। जिससे भी बीमारियां बढ़ रही है। कई कुएं व बोरिंग बंद करनी पड़ी है। शहर के नालों की ठीक से सफाई न होना भी जल दूषित होने का कारण है। शहरों के जैविक पदार्थ और मल-मूत्र शहर से बह रही नदियों और नालों में बहाया जा रहा है जिसके कारण पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ रहा है। यह सीवेज अपने साथ माइक्रोबियल पेथोजिन लाता है जिसके कारण से रोग फैलते हैं।

प्रदूषित पानी की रोकथाम

पानी से फैलने वाली बीमारियों को रोकने के लिये लोगों को चाहिए कि समय-समय पर पानी की जाँच करवायें। अगर पानी प्रदूषित है तो उसे साफ करवायें। दूषित जल की समस्या सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश का बहुत बड़ा भाग इससे प्रभावित हो रहा है। पीने का साफ पानी मानव की पहली आवश्यकता है। जबकि अब यह दूषित हो रहा है।


डॉ. प्रवीण डबली

जलमित्र,
सदस्य, जीरो माइल फाउंडेशन, नागपुर।
Mob 9422125656
7020343428

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