Loading...

छोटे बच्चों पर शिक्षा के माध्यम से संस्कारों की आवश्यकता : डॉ. शहाबुद्दीन शेख


नागपुर। बच्चों पर उनकी छोटी आयु से ही शिक्षा के माध्यम से भारतीय संस्कारों की नितांत आवश्यकता है इस आशय का प्रतिपादन विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख पुणे ने किया। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश ,छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा क्या 'छोटे बच्चों को स्कूल भेजना उचित है' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय आभासी गोष्ठी में अध्यक्षीय समापन अपना मंतव्य दे रहे थे। डॉ डीपी देशमुख की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति थी।

डॉ शहाबुद्दीन शेख ने आगे कहा कि लगभग 32 करोड़ विद्यार्थी हमारे देश में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। छोटे बच्चों के लिए देश में लगभग साढ़े तेरह लाख बालवाड़ियाँ तथा साढ़े ग्यारह लाख प्राथमिक विद्यालयों में लगभग दस करोड़ बच्चों को मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था है, जो विश्व में सबसे वृहत व्यवस्था है। 

वैश्वीकरण के दौर में छोटे बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भर्ती करा कर उन पर पाश्चात्य सभ्यता व संस्कृति के संस्कार किए जा रहे हैं, जो बच्चों के भविष्य की दृष्टि से अत्यंत घातक है। अतीव प्रसन्नता इस बात की है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में छोटे बच्चों के लिए क्षेत्रीय तथा मातृभाषा में शिक्षा देने की बात कही है जो सराहनीय कदम है। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के सचिव डॉक्टर गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने अपने प्रास्तविक उद्बोधन में कहा कि बच्चों पर होमवर्क का बोझ नहीं डालना चाहिए। बच्चों को ऐसा न लगे कि उन्हें स्कूल में कैदी बनाकर उनका बचपना छिना जा रहा है। 

मुख्य वक्ता डॉ. सोनाली चेन्नावर, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने विषय के पक्ष - विपक्ष पर मत वक्तव्य करते हुए कहा कि छोटे बच्चों को स्कूल अवश्य भेजें, पर उन पर स्कूल बैग, किताबों का बोझ ना डालें। उनकी शिक्षा भय से मुक्त होनी चाहिए। 

विशिष्ट अतिथि डॉ. डी. पी देशमुख, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने अपने वक्तव्य में कहा कि औपचारिक शिक्षा बच्चे अपने घर में पाते हैं। अनौपचारिक शिक्षा पाने हेतु उन्हें स्कूल अवश्य भेजा जाए। क्योंकि उनके सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें स्कूल भेजना आवश्यक है। 

डॉ सुनीता प्रेम यादव, औरंगाबाद, महाराष्ट्र ने कहा कि छोटे बच्चों को उनके कौशल विकास के लिए स्कूल भेजना जरूरी हैं। औपचारिक व अनौपचारिक इन दोनों प्रकार की शिक्षा बच्चों को मिलनी चाहिए। 

आभासी गोष्ठी का आरंभ श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव चांपा, छत्तीसगढ़ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। डॉ अनसूया अग्रवाल, महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने स्वागत भाषण दिया। गोष्ठी का सफल संयोजन व संचालन डॉक्टर मुक्ता कान्हा कौशिक हिंदी सांसद, विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज की छत्तीसगढ़ इकाई ने किया तथा डॉ सरस्वती वर्मा महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने आभार प्रदर्शित किये।

साहित्य 8224828110614877896
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list