साहित्य व कला से ही सिंधी संस्कृति का विकास
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किशोर लालवानी का रहा है उल्लेखनीय योगदान
नागपुर। सिंधी रंगमंच के वरिष्ठ रंगकर्मी किशोर लालवानी ने सिंधी रंगमंच के हास्य कलाकार के रुप में अपनी शुरुवात की। उपरांत लालवानी सिंधी नाटकों व सिंधी फिल्मों के लेखक के रुप में पहचान बनायी है। इस आश्य के विचार सिंधी कलाकारों की संस्था सिंधुड़ी यूथ विंग के रजत जयंती वर्ष के अंतर्गत सिंधुडी़ यूथ विंग व सुहिंणा सिंधी पूना के संयुक्त तत्वावधान में, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित दादा रोचलदास केवलरामानी की स्मृति में फेसबुक पर आयोजित "सितारा कला जा" इस कार्यक्रम में व वक्ताओं ने कहे।
प्रस्तावना में प्रोग्राम डायरेक्टर तुलसी सेतिया ने बताया कि किशोर लालवानी ने 1978 में सिंधी रंगमंच पर अभिनय आरंभ किया और आज तक निरंतर जारी है, लगभग 60 से अधिक नाटकों में अभिनय किया है। सुप्रसिद्व साहित्य कार डा.विनोद आसूदानी ने कहा कि भारतीय सिंधू सभा सांस्कृतिक मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक किशोर लालवानी ने की अनेक पुस्तकों का भी प्रकाशन हुआ है।
मेरे इंग्लिश कहानियों का सिंधी में अनुवाद किया और उस पुस्तक को महाराष्ट्र राज्य सिन्धी साहित्य अकादमी द्वारा अनुवाद पुरस्कार भी मिला। भारतीय सिंधू सभा मुंबई के उपाध्यक्ष वीरू डुलानी ने बताया कि लालवानी द्वारा लिखित ससुई पुन्हूं व उमर मारुती का मंचन उन्होंने मुम्बई में करवाया। सुहिणा सिंधी पूना के अध्यक्ष पीतांबर पीटर ढलवानी ने कहा कि किशोर जैसे कलाकारों पर समाज को गर्व है। लखी मुंहिंजो लखन में फ़िल्म के हास्य कलाकार पृथ्वी आयलानी ने हास्य प्रसंगों से मनोरंजन किया।
'तुहिंजे प्यार में' इस फिल्म के निर्माता सतीश चंदवानी दुबई, ने लालवनी द्वारा लिखित इस फ़िल्म के बारे में बताया कि इस फिल्म को देश विदेश में सराहा गया। साधना सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष एड. विनोद लालवानी ने कहा कि किशोर का बचपन से ही रुझान सिंधियत व कला की ओर रहा। बैंक में कार्यरत होने के कारण तबादले होते रहते थे, वे जहां भी गये सिंधियत के विकास हेतु कार्य किया।
भारतीय सिंधू सभा महिला विंग की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. रोमा बजाज ने लालवानी व तुलसी सेतिया द्वारा दिए गये योगदान के संदर्भ में बताया। सिंधुड़ी सहेली मंच की महासचिव मंजू कुंगवानी ने लालवानी को मिले पुस्कारों व अवार्डस के बारे में जानकारी दी।
अपने सत्कार के उत्तर में किशोर लालवाणी ने कहा कि सिंधी रंगमंच की विधाओं को स्व. सुन्दर बुटाणी के माध्यम से सीखा, नाट्य लेखन के लिए तुलसी सेतिया ने प्रेरणा दी। सिंधी साहित्य, कला, भाषा व बोली के लिए सदैव प्रयासरत रहूंगा। उन्होने पूरी टीम का आभार माना। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण पवन मटलानी व प्रेम मटलानी ने किया।