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हिंदी का सूर्य कभी अस्त नहीं होगा : प्रो. सरन घई


हिंदी का सूर्य कभी अस्त नहीं होगा। इस आशय का प्रतिपादन अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रो. सरन घई, कनाडा ने किया।


विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के रजत समारोह के तृतीय दिवस समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में वे अपना मंतव्य दे रहे थे। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्रा डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने समारोह की अध्यक्षता की। प्रो. सरन घई ने आगे कहा कि जब हिन्दुस्तान सो जाता है तब विदेश हिंदी बोलता है।अतः हिन्दी का भविष्य उज्ज्वल है। 

विशिष्ट अतिथि डॉ. अनीता कपूर, केलीफोर्निया ने कहा कि वास्तव में प्रवासी लेखन ही हिंदी को ऊंचाई पर ले गया है। मीडिया ने भी हिंदी को आगे बढाने मे और हमें एक दूसरे से जोड़ने के लिये अहम भूमिका निभायी है।
      

अति विशिष्ट वक्ता डॉ. विनय कुमार पाठक, पूर्व अध्यक्ष, राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ ने अपने उदबोधन मे कहा कि, हिंदी राजाश्रय के बदले लोकाश्रय के बल पर आगे बढ़ी है। संस्कृत की संस्कृति, पालि - प्राकृत की प्रकृति हिंदी भाषा मे पायी जाती है। हिंदी हमारे आंदोलनों की भाषा रही है। विश्व में सर्वाधिक सरल, मधुर, बोधगम्य व वैज्ञानिक भाषा होने के कारण विश्व के डेढ़ सौ देशों में पढा़ई जाती हैं।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रकार डॉ शंभू पवार झुंझुनु, राजस्थान ने विशिष्ट वक्ता के रूप में कहा कि विश्व स्तर पर हिंदी बोलने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। मनोरंजन व तकनीकी क्षेत्र में भी हिंदी का बोलबाला है। 11 राज्यों व 3 केंद्र शासित प्रदेशों की हिंदी राजभाषा है।
    

डॉ. सीमा वर्मा, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ने संस्था की 25 वर्षों की विभिन्न गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी, सोनभद्र, उत्तर प्रदेश ने कहा कि संपूर्ण भारत के विभिन्न प्रांतों तथा विदेशों में हिंदी का प्रचार - प्रसार का अभिनव कार्य संस्थान ने किया है, जो अत्यंत प्रशंसनीय व अनुकरणीय है।
     

संस्थान के विगत 25 वर्षों की साहित्यिक व सांस्कृतिक गतिविधियों की झलक एक स्क्रीन द्वारा दिखाई गयी। संस्थान के कुलगीत का विमोचन भी इस अवसर पर किया गया।
     

समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्व हिंदी  साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा कि हिंदी विश्व की भाषा बन चुकी है। विश्व भाषा के रूप में हिंदी में अपार संभावनाएं हैं। जो हिंदी 1950 में पांचवें क्रमांक पर थी, आज वह प्रथम क्रमांक पर है। 

अंग्रेजी मात्र साढे़ चार देशों की भाषा हैं। ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की। यह कनाडा की भी भाषा है, परंतु आधा कनाडा फ्रांसीसी बोलता है। अमेरिकन सरकार ने हिंदी के अध्ययन अध्यापन हेतु अलग कोष की निर्मिती की है।
      

समारोह का आरंभ श्रीमती ज्योति तिवारी, इंदौर, मध्य प्रदेश की सरस्वती वंदना से हुआ। कुमारी आख्या सिंह, नई दिल्ली ने गणेश वंदना की। डॉ रजिया शहनाज शेख, बसमत नगर, महाराष्ट्र ने स्वागत उद्बोधन दिया। डॉ. पूर्णिमा उमेश झेंडे, नासिक, महाराष्ट्र ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया।संस्थान के सचिव डॉ गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश ने संस्थान की विगत 25 वर्षों की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए प्रस्तावना की।
     

कुमारी स्वरा त्रिपाठी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ने लोक नृत्य प्रस्तुत किया। बांसुरी एवं तबला वादन में वेदांत कुलकर्णी व सुधांशु परलीकर, औरंगाबाद, महाराष्ट्र ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
     

डॉ. अनुसूया अग्रवाल, महासमुंद ,छत्तीसगढ़ ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा समारोह का संयोजन, संचालन व नियंत्रण का दायित्व दिवस प्रमुख हिंदी सांसद डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने बखूबी निभाया। रमाकांत प्रसाद ने तकनीकी सहायता प्रदान की। समारोह की सफलता हेतु डॉ. सुनीता यादव, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश, प्रो लता चौहान बेंगलुरु ने विशेष प्रयत्न किए।
     

इस भव्य आयोजन में दर्शक के रूप में विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी उ.प्र., डॉ. मीरा सिंह, अमेरिका, प्रो. ललिता जोगड़, हरेराम बाजपेयी, इंदौर, डॉ. रामनिवास साहू,डॉ. प्रभु चौधरी, डॉ. मेदिनी अंजनीकर, डॉ. संगीता पाल, डॉ. संगीता कालरा, डॉ.शबाना हबीब, डॉ. सुषमा कोंडे, ज्योति जैन, प्रतिभा पराशर, डॉ. वंदना, इंदौर, सदाशिव विश्व कर्मा, डॉ. वंदना श्रीवास्तव, डॉ. मधु शंखधर, नरेंद्रभूषण, डॉ. जेबा रशीद, ओम प्रकाश त्रिपाठी, श्रीमती पुष्पा शैली श्रीवास्तव, 

डॉ. प्रंभाशु कुमार, राजेश तिवारी, डॉ पूर्णिमा मालवीय, डॉ सुमन अग्रवाल, भोपाल, डॉ राजश्री तिरविर, डॉ. समीर सैयद, प्रोफ़ेसर महबूब पटेल, प्रो नाना साहेब गोफणे, डॉ. बेबी कोलते, डॉ भरत शेणकर, रोहिणी डावरे सहित 500 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। सामूहिक राष्ट्रगान के साथ समारोह संपन्न हुआ।

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