आरिणी चैरिटेबल फाउंडेशन ने मनाया कबीरदास का प्रकटोत्सव
संत कबीरदासजी के प्रकटोत्सव के अवसर पर आरिणी साहित्य समूह द्वारा कबीर जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर गूगल मीट एवं फेसबुक लाइव के द्वारा परिचर्चा एवं कबीर जी के दोहे के पाठ का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में देश विदेश के दस साहित्यकारों ने कबीरदास जी के दोहों का पाठ किया एवं उनकी व्याख्या भी प्रस्तुत की। दर्शकों ने इस कार्यक्रम को बहुत सराहा। कार्यक्रम में सहभागिता करने वाले साहित्यिकार थे :
1.तिनका कबहुँ न नींदिए
2.कबिरा यह मन लालची
3. कबिरा मन ही गयंद है
डॉ मीनू पांडेय नयन
1.बुरा जो देखन मैं चला
2निंदक नियरे राखिये,
3,अति का भला न बोलना
हंसा श्रीवास्तव
1.हिरदा भीतर आरसी मुख देखा नहिं जाय
2.देह धरे का दंड है सब काहू को होय
3.कबिरा सोई पीर है जो जाने पर पीर
अनिल कुलश्रेष्ठ, सिंगापुर
1 काल करे सो आज कर
2 साई इतना दीजिए
3 अति का भला न बोलना
रेनुका सिंह
1.साधु भया तो क्या भया, माला पहिरी चार
2.कथनी मीठी खाँड़ सी, कथनी विष की लोय
3.कस्तूरी कुंडली बसै,मृग ढूँढ़ै बन माहि
रंजना शर्मा
1 कागा काको धन हरे
2 माला फेरत जुग गया
3 कबीरा यह जग कुछ नहीं खिन खारा खिन मीठ
प्रेक्षा सक्सेना
1 दिवस गवाया खाय के
2 पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ
3 पाहन पूजे हरि मिले
प्रख्या श्रीवास्तव
1. मांगन मरण समान है
2. दुर्लभ मानुष जन्म है
3. पानी केरा बुदबुदा
राजेंद्र यादव
1. राम नाम की लूट है
2. बड़ा हुआ तो क्या हुआ
3. कबीर कलयुग कठिन
सुसंस्कृति सिंह
1) साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय
2) माटी का एक नाग बनाके
3) कबीर हमारा कोई नहीं
सुषमा व्यास 'राजनिधि'
1.गुरु गोविंद दोऊ खड़े
2. माला फेरे जग
3. जाति न पूछो साधु की
रचना श्रीवास्तव
और अंत में सभी ने कबीरदास जी के दो दोहों को सामूहिक रूप में गाकर अपने मन की बात रखी।आरिणी चैरिटेबल फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ मीनू पाण्डेय नयन ने कहा कि कबीर दास जी के दोहे हर आयु वर्ग एवं सम्प्रदाय के लोगों को जीवन जीने का जो तरीका बताते हैं वो आज भी प्रासंगिक है।