Loading...

कविता एक साधना है : डाॅ. जैनब बी


नागपुर/पुणे। कविता एक कला है और कवि उस कला की उपासना करता है। कविता एक साधना भी है,साध्य नहीं।ये विचार धर्ममूर्ति राव बहादुर कलवल कण्णन चेट्टी हिंदु महाविद्यालय, पट्टाभिराम, चैन्नै,  तमिलनाडु महाविद्यालय की हिंदी प्राध्यापिका डाॅ.जैनब बी ने व्यक्त किये। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उ.प्र. की ओर से आयोजित आभासी "काव्य गोष्ठी:महाराष्ट्र राज्य"  में मुख्य अतिथि के रूप में वे अपना उद्बोधन दे रही थी। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान,प्रयागराज, उ.प्र. के अध्यक्ष डाॅ.शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख पुणे, महाराष्ट्र ने काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता की।डाॅ.जैनब बी ने आगे कहा कि विषम परिवेश में कठोरता को कोमलता, अन्याय को न्याय तथा अधर्म को धर्म की ओर अग्रसर करना ही प्रत्येक कवि और उसके सृजन का लक्ष्य होता है।पाठक से प्रेम और उसकी सुरक्षा का प्रमाण देना ही कवि का उद्देश्य होता है।उन्होंने अपनी कवितता में कहा - 'सुख भोग रहा इन्सान,ताने कंधों पर तीर कमान,एक के नाश से दूसरे का निर्माण,यही है सुख पाने का वरदान।'

विशिष्ट अतिथि डाॅ.अंजना चक्रपाणि मिश्र, इंदौर, म.प्र. ने कहा कि कविता वास्तव में हम और समाज के मध्य के ऐसे संवेदनात्मक अनुभव है, जो शब्दों का जामा पहने गुफ्तगू करते हैं। दरअसल कविता स्वयं को जानने की अंतहीन प्रक्रिया है।उन्होंने 'कजरी' की पंक्तियों के माध्यम से कहा-अरे रामा सैया गईलन बिदेसवा,झरे रे बदरिया ए हरी। केहू पहूुचा दे हई संदेसवा, तरसेला जियरवा ए हरी।।'

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान के सचिव, डाॅ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने प्रास्तविक में संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। डाॅ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि कविता सृजन में लगन, परिश्रम, निरंतरता व सक्रियता आवश्यक होती है।श्री.शांताराम मालुंजकर, रूंभोडी, अकोले ने सरस्वती वंदना के बाद अपनी कविता में कहा कि 'झुकने से विनम्र भाव आता है, मगर हर बार आपको ही झुकना पडे, तो रूक जाओ।'

काव्य गोष्ठी का उत्तम व सफल संचालन करते हुए प्रा. रोहिणी डावरे, अकोले, महाराष्ट्र ने अपनी कविता के माध्यम से कहा-' सच्ची होती है दिल की बात, दिल ही निभाता है सच्ची साथ, दिल की बातों में होता है दम, पत्थर दिल भी हो जाते हैं नम।'
अन्य कवियों द्वारा अपनी कविताएँ सुनायी गई।डाॅ.भरत शेणकर, अकोले, -'बुराई पर है अच्छाई की जीत,मतभैद भूलकर जोडो मन से प्रित।,' श्रीमती माधुरी बेणके, नाशिक न- ' गुजरा बीता कल, उसकी मीठी याद में ही खुश हूँ, आनेवाला हर पल जरूर यादगार ही रहेगा,' डाॅ.रजिया शेख, बसमत, - 'इल्म का नूर जिसपर छाया,उसने जिंदगी का हर लुत्फ उठाया ' ,डाॅ.अशोक गायकवाड, अहमदनगर -'कभी हँसना तो कभी रोना भी सिखा दिया, जिंदगी तूने जीना सिखा दिया।' 

डाॅ.रीना सुरडकर अजंता, - 'जीवन अंध:कार होने तक विच्छिन्न होकर राख बनी तुम यशोधरे।' दिलशाद सैय्यद अकोले, - माँ दुर्गा की शक्ति है, उसे नां समझो कमजोर, कभी बनकर चिंगारी, टूट पडेगी शैतानों पर।' डाॅ.रूपाली चौधरी, जलगांव - 'मेघ कैसे जल को लाते,प्यास धरती की बुझाते, खास है हर कोई उसका, खुदा ईश्वर नाम है जिसका।' डाॅ.दीपा कुचेकर, सटाणा, नाशिक ने सरस्वती, लक्ष्मी काली तू, ज्ञान, धन रौद्र रूप धारिणी, नमन शत् शत् तेरे रूप को।' श्रीमती सविता इंगले, पुणे - 'जब मेरा दर्द बयाँ करने लगी, तो किसी ने बडी अदब से मेरे विचारों पर प्रश्न उपस्थित किए।' डाॅ.अरूणा शुक्ला, नांदेड - 'देखो ऐश्वर्यशालिनी प्रकृति, शून्य में है इसकी आकृति, हरी भरी है इसकी सृष्टि, इसपर होती गगन से वृष्टि।'

इनके अतिरिक्त डाॅ.पूर्णिमा झेंडे, नाशिक, डाॅ.सुगंधा घरपनकर, कोल्हापुर, प्रा. गोरक्षनाथ काथापुरे, ओझर, नाशिक ने भी अपना कविता पाठ किया।डाॅ.अशोक गायकवाड, अहमदनगर ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।

काव्य 1987296338967758744
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list