मातृभाषा माँ तथा राष्ट्रभाषा मौसी समान : डाॅ. वंदना मुरकुटे


नागपुर/पुणे। बहुभाषी भारत देश में मातृभाषा को माँ का तथा राष्ट्रभाषा को मौसी समान दर्जा प्राप्त है। अत: दोनों भाषाओं के प्रति हमारी समान दृष्टि होनी चाहिए। इस आशय का प्रतिपादन अहमदनगर जिला संलग्नित श्रीरामपुर तहसील पंचायत समिति की सभापति डाॅ. वंदनाताई ज्ञानेश्वर मुरकुटे ने किया। 

श्रीरामपुर तहसील के टाकळीभान में ज्ञानज्योति बहुउद्देशीय संस्था के तत्वावधान में  रुक्मिणी माधव मंगल कार्यालय में आयोजित राष्ट्रीय हिंदी अध्यापक सेवा कार्य सम्मान समारोह में वे अध्यक्षीय उद्बोधन दे रही थी।
डाॅ. मुरकुटे ने आगे कहा कि हिंदी अध्यापकों को तन मन से अपना दायित्व निभाना चाहिए क्योंकि, छात्रों का भाषिक प्रभुत्व ही उन्हें हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है।

समारोह के मुख्य अतिथि तथा सावित्रिबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे के हिंदी विभाग के प्रोफेसर, आलोचक एवं कवि डाॅ. सदानंद भोसले ने अपने मंतव्य में कहा कि भारतीय संविधान की अष्टम अनुसूची में बाईस भारतीय भाषाएँ सम्मिलित हैं। हिंदी जन-जन की भाषा है। हिंदी ने देश को आजादी दिलाई है। वैश्विक स्तर पर हिंदी ने बहुत प्रगति साधी है। हमें भी अपने देश में हिंदी के प्रचार प्रसार में योगदान देना चाहिए। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उ.प्रदेश के अध्यक्ष प्राचार्य डाॅ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान स्थिति में हिंदी तो खूब बोली जा रही है, पर लेखन में रोमन लिपि का प्रचलन बढ रहा है। अत: वैज्ञानिक लिपि देवनागरी के प्रयोग में लापरवाही नहीं होनी चाहिए। मोबाईल में मराठी- हिंदी भाषाओं के साथ राष्ट्रलिपि देवनागरी  का प्रयोग होना चाहिए। हिंदी का प्रचार- प्रसार से तात्पर्य है भारतीय सभ्यता, संस्कृति व जीवन मूल्यों का प्रचार-प्रसार। उन्होंने आगे यह भी कहा कि सभी अध्यापक अपने हस्ताक्षर देवनागरी में ही करें। व्यवहार में देवनागरी लिपि को अपनाएँ। 

मंच पर ज्ञानज्योति बहुउद्देशीय संस्था, टाकळीभान के संस्थापक व अध्यक्ष श्री अर्जुन राऊत की उपस्थिति रही। मराठी भाषा के अध्येता डाॅ.बाबुराव उपाध्ये, महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यलयीन अध्यापक संघ के अध्यक्ष डाॅ. मिलिंद कांबळे, बारामती, ह.भ.प. दत्तात्रय बहिरट महाराज,'बालभारती' के प्रतिनिधि प्रा. सुधाकर शिंदे, पुणे, डाॅ. देविदास बामण, पेन, रायगड, तथा डाॅ. साहेबराव गायकवाड, अकोले आदि मान्यवरों द्वारा विचार व्यक्त किए गये। 

समारोह में शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर के हिंदी अध्ययन मंडल के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. यादवराव धुमाळ, प्रो. साठे, प्रा. पोपटराव पटारे आदि की उपस्थिति रही। साई संस्थान की न्यासी तथा श्रीरामपुर नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष अनुराधाताई आदिक द्वारा साई डायरी, कैलेंडर तथा साईप्रसाद पैकेट सभी को प्रदान करने की व्यवस्था की गई थी। 

इस अवसर पर प्रा. प्रदीप जटाल, डाॅ. बाळासाहेब सोनवणे, डाॅ. बाबा शेख, पुणे,प्रा. पोपटराव आवटे सहित अधिकांश हिंदी प्राध्यापक व अध्यापकों को प्रतीक चिहन् तथा सम्मानपत्र देकर गौरवान्वित किया गया। प्रा. विजय बोर्डे ने प्रास्तविक भाषण दिया। समारोह का सफल संचालन श्रीमती प्रियंका चाबुकस्वार तथा संजय पवार ने किया। अक्षय कोकणे ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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