रोजगार से ही भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है
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बेरोजगारी, भुखमरी की समस्या पर ध्यानाकर्षण हो
नागपुर (आनंद मनोहर जोशी)। विश्व के अनेक देशों में प्राकृतिक आपदाओं, महामारी, घरेलू हिंसा, गृह युद्ध, राजनीतिक प्रतिद्वंदियों की गलत नीतियों से अशांति का वातावरण बन चुका है। महामारी के बाद अनेक उद्योग धंधे बंद हुए। करोड़ों लोग बेरोजगार हुए। अनेक नागरिक कर्ज में भी बर्बाद हुए। सरकारी नौकरियों में भी भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नीतियां, अस्थाई नौकरियों, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में हो रहे विरोध प्रदर्शन से अरबों रुपए का नुकसान हुआ। सरकारी नौकरियों में ज्यादा अंक ले चुके विद्यार्थियों को भी नौकरियां परीक्षा देने के बाद भी नहीं मिल रही है।
भारत में शिक्षक,नर्स,सफाई कर्मी, सुरक्षा गार्ड, पैरामेडिकल, जर्नलिस्ट स्टाफ का प्रयोग उसे एंड थ्रो के रूप में हो रहा है। कोविड़ महामारी और उससे पूर्व करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई। भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अभी भी बेरोजगार की समस्या की तरफ केंद्र सरकार, 29 राज्य सरकारों का ध्यान नहीं है। भारत जैसे देश के बैंक की परीक्षाओं में कट ऑफ मार्क के अंतर्गत अनेक युवाओं, युवतियों की नौकरियां नहीं लग रही है। वैसे तो सरकार ने चुनकर आने के बाद बड़े बड़े वादे किए थे। जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं में बिना इंटरव्यू की सीधी भर्ती की बात की गई थी। लेकिन बैंक की परीक्षा में दो बार परीक्षाओं के दौरान कट ऑफ मार्क की नीतियों के कारण लाखों लोगों को नौकरियां नहीं मिल पा रही है।
भारत में बढ़ती जनसंख्या के कारण शॉर्ट नोटिस पर लोगों को रखकर उन्हें हटाना। नौकरियों में बिना किसी पिनकोड के करोड़ों युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है। अनेक लोगों को 14 से 15 वर्ष तक काम करने पर बोनस,भत्ता, पेंशन, वेतन हड़पकर भारत के संविधान में कोई संशोधन नहीं किए गए है। भारत के संविधान में 150 वर्ष की गुलामी के अंग्रेज के लगान, टैक्स वसूली के कानून अभी भी बने हुए है। भारत की अदालतों में वर्षों से मामले चल रहे है। जिसमें निर्णय नहीं हो रहे है। मौजूदा समय में महाराष्ट्र सरकार का मामला जिस पर त्वरित निर्णय लेने में न्यायप्रणाली देरी कर रही है। जिससे भारत के राज्यों की सार्वजनिक संपत्तियों को हो रहे नुकसान की हानि भी चिंता का विषय है।
भारत के बैंक, रेलवे, ट्रांसपोर्ट और अति आवश्यक सुविधाओं वाले दवाखाने अस्पतालों में उचित स्टाफ नही होने से लोगों को दिक्कतें हो रही है। अब जबकि बढ़ती जनसंख्या के चलते सभी कार्यालयों में नई कामगारों की भर्ती भी जरूरी है। आज के आधुनिक युग में चिकित्सक, शिक्षक, इंजीनियर, बैंक, रेलवे, ट्रांसपोर्ट, नगर निगम, पंचायत, सिविल सेवा, प्रशासनिक सेवा, बीमा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि आधारित उद्योगों में रोजगार के अवसर बढ़ाना होगा। भ्रष्टाचार मुक्त भारत की स्थापना भी बहुत जरूरी है। सबका स्वास्थ्य, सबका विकास, सबको रोजगार से ही भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। भविष्य में आवश्यक रोजगार, स्वयं रोजगार, कुटीर उद्योग को पर्यटन क्षेत्र से जोड़ने की जरूरत है।