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केवल नाम के ही रह गए चौराहे, सुबह के बाद सड़क लेती है गलियों का रूप


मस्कासाथ, गोलीबार चौक, गांजाखेत, शहीद चौक पर ट्रैफिक सिग्नल नहीं


नागपुर (आनन्दमनोहर जोशी)। शहर की सड़कों पर आबादी बढ़ने के साथ साथ दुपहिया चौपहिया वाहनों की संख्या के साथ साथ ऑटोरिक्षा, मैक्सी में बेहताशा वृद्धि हो रही है. लेकिन शहर की ज्यादा आबादीवाले चौरहों का 70 वर्षों से विकास नहीं हो रहा है. कहने को तो यह चौराहे शहर के बड़े थोक बाज़ारों के नाम से जाने पहचाने जाते है. 

किसी समय में घी, लोणि के बाजार के नाम से मशहूर मस्कासाथ चौक से हजारों की संख्या में पैदल, साइकिल, दुपहिया, ऑटो रिक्शा, कार, ट्रक सुबह बाजार लगने से पूर्व आवागमन करते है. सुबह 11 बजे के बाद से लेकर रात्रि 10 बजे तक यहाँ से पैदल चलने की जगह ही नहीं बचती. बाजारों से फुटपाथ गायब हो चुके है. चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल नहीं लगाए गए है. शहर के बाहर में सड़क का नाम ओली से रखा जाता था.वही सड़कें गलियों की शक्ल में तब्बदील हो जाती है.

नागपुर के इतवारी बाजार में किराणा ओली, रेशम ओली, चुना, लोहा, रेवड़ी और बर्तन ओली सुबह सड़क के रूप में दिखाई देती है. लेकिन दोपहर, शाम, रात्रि में गली के रूप में बदल जाती है. यहाँ के अन्य महत्वपूर्ण जगह में धारस्कर रोड, भंडारा रोड, बोहरा गली, नाइक गली, नेहरू पुतला
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