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वैशुज़ म्यूजिकल वर्ल्ड का सुरीला सफर


नागपुर। महान पार्श्वगायक पद्मश्री मोहम्मद रफी साहब की 99वें जन्मदिवस के उपलक्ष में वैशुज़ म्यूजिकल वर्ल्ड द्वारा 'तरन्नुम ऐ रफ़ी', रफ़ी साहब के गाए हुए गीतों का सुरीला सफर तय किया गया। यह कार्यक्रम से रफी साहब के शताब्दी वर्ष की शुरुआत रही। कार्यक्रम की निर्देशिका वैशाली मदारे द्वारा सुरीला सफ़र गीतों का आयोजन ए.पी.एस. स्टूडियो में किया गया। जिसमें शहर के सुपरिचित कलाकारों ने एक से बढ़कर एक रफी साहब के गीतों को प्रस्तुत किया। सर्वप्रथम, सभी कलाकार और टेक्निशियंस का अभिनंदन वैशाली मदारे ने शब्द सुमनों से किया। 


तत्पश्चात, राज चौधरी ने रफी साहब के गीतों का मेडले 'पुकारता चला हूं मैं', 'तेरे मेरे सपने' से कार्यक्रम की शुरुआत की। जिसमें, वैशाली मदारे ने 'हम और तुम और यह समां', 'जीत ही लेंगे बाजी हम तुम', ज्योत्सना मांडवगड़े ने 'हुई शाम उनका ख्याल',  'दूर रहकर ना करो बात', आशिमा बोस ने 'वादा करले साजना', 'डफली वाले डफली बजा', काकोली मलिक ने 'वो है जरा ख़फ़ा खफा', 'गुनगुना रहे हैं भंवरे', रत्नेश सोमकुंवर ने 'गुलाबी आंखें', 'आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे', सोनल डोंगरे ने 'ये समा समा है ये प्यार का' तथा, युगल गीतों में 'दीवाना हुआ बादल', 'ठहरिए होश में आ लूं तो चले जाइएगा' वैशाली मदारे और राज चौधरी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का सरल सरस संचालन सोनल डोंगरे ने किया। कार्यक्रम की स्ट्रीमिंग विनोद अग्रवाल ने तथा ध्वनि प्रक्षेपण दिलीप भाई ने संभाली। सभी दर्शकों और कलाकारों का आभार कार्यक्रम की निर्देशिकाएं वैशाली मदारे ने अपने शब्दों में व्यक्त किया।
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