ट्रैफ़िक व्यवस्था क्या केवल विशेषः वी आई पी और नेताओं के लिए?
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नागपुर। नागपुर का शीतकालीन अदिवेशन केवल 10 से 11 दिनों का ही होता है. कहने को ही यह 7 से 20 कुल 15 दिनों का राज्य सरकार द्वारा तय किया जाता है. देखा जाए तो महाराष्ट्र की उपराजधानी का झुनझुना बच्चों की तरह नागपुर को पिछले सात दशक में सरकारों ने दे दिया है. जबकि तीन से चार जनरेशन ने भारत की राजनीती को सड़क से संसद और महात्मा गांधी से लेकर वर्तमान पीढी तक के युवा नेताओं को देखा है. पूर्व में भी ब्रिटिश काल में अंग्रेज जनता को भुलाकर वॉयसराय, राजा, महाराजाओं की ख़ास सेवा किया करते थे. आज भी यह दृश्य विधानसभा के 10 से 17 किलोमीटर की परिधि में यातायात नियंत्रण के लिए देखा जा रहा है.
नागपुर की प्रमुख परिवहन प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हो रही है. जबकि सड़कें अच्छी बना दी गई है.उड़ान पुलिया भी अच्छे बना दिए गए है. लेकिन सड़कों के पास के फुटपाथ,साइकिल के लिए अलग से लेन, जनता के लिए पैदल चलने की व्यवस्था के साथ यातायात सिग्नल की देखभाल व्यवस्था अभी भी सुधारी नहीं गई है.
सात दिसंबर से अब तक शहर के कई इलाक़ों की यातायत प्रणाली चरमरा गई है. विशेष इलाक़ों के रहवासियों को आवागमन के लिए काफी घूमकर जाना पड़ रहा है. कार हो या दुपहिया चालक सभी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.जबकि शीतकालीन अधिवेशन के लिए 13 हजार पुलिस कर्मचारियों,8 कंपनी के विशेष सुरक्ष जवान को सड़कों पर बरिगटेस और तम्बू के साथ तदिनात किया गया है. सोमवार, मंगलवार को भी शहर के अनेक हिस्सों में वाहनों की कतारें लग गई. केवल 15 दिन के अधिवेशन में यह हाल है. यदि नागपुर में 6 माह के लिए अधिवेषन या कामकाज होगा तो फिर नागपुर की यातायात व्यवस्था क्या और कैसी होगी इस पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है.
नागपुर के सेंट्रल एवेन्यू , गांधीबाग, महल, इतवारी, गांजाखेत, गोलीबार चौक, मस्कासाथ जैसे अनेक इलाके है जहां यातायात की अनेक समस्याएं है. अब जबकि सरकार नागपुर में है.केवल शहर की समस्त पुलिस दल,बल उनकी खातिरदारी में ही जुट गई है.आम सामान्य लोगों के लिए सरकार क्या करेगी यह भविष्य ही तय करेगा. प्रेस सम्पदाक व पत्रकार सेवा संघ के महासचिव और वरिष्ठ पत्रकार आनन्दमनोहर जोशी ने शहर के सभी चौराहों पर सिग्नल प्रणाली दुरुस्त करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि शहर के अनेक चौराहों के नवीनीकरण के बाद सिग्नल भी नहीं लगाए गए है. यदि सिग्नल शुरू भी है तो वहां के चौराहों की दुर्दशा भी बनी हुई है.केवल खुदाई करके मलबा सड़क पर छोड़ा गया है.