इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान बालाघाट में अनेक राज्यों के विद्वानों को विविध उपाधियों से किया सम्मानित
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राष्ट्रीय साहित्य एवं पुरातत्व का 22 वाँ महाभव्य अनुष्ठान तीन चरणों में सम्पन्न
नागपुर/बालाघाट। इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान तथा वीर अकादमी बालाघाट मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में पुण्य सलिला वैनगंगा के तट पर बसा बालाघाट चर्चित नगर में जहाँ राष्ट्रीय साहित्य एवं पुरातत्व का 22 वाँ अनोखा महाभव्य अनुष्ठान दिनांक 24 फरवरी 2024 को सहयोगात्मक रुप से सादगी पूर्वक आयोजित हुआ। उक्त अवसर पर 15 राज्यों से प्रतिष्ठित पुरातत्व विद्, इतिहास विद्, साहित्य विद्, समाज शास्त्री, अधिकारियों का आगमन विश्व की जानी-मानी हस्तियों का भव्यता के साथ हुआ।
प्रथम चरण प्रातः 11 प्रारंभ हुआ जिसमें डॉ. गिरीश कुमार मिश्र कलेक्टर एवं अध्यक्ष जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद बालाघाट मुख्य अतिथि, डॉ. जगदीश चंद्र वर्मा, पुरातत्व विद् गाजियाबाद (उ.प्र.) की अध्यक्षता, विशिष्ट अतिथियों में डॉ. तृप्ति अग्रवाल शिक्षा विद् रायगढ (छ.ग.), डॉ. कुलवंत सिंह सलुजा सदस्य रेल बोर्ड बिलासपुर (छ.ग.), डॉ. माया यावलकर समाज शास्त्री अमरावती (महाराष्ट्र), डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार संग्रहाध्यक्ष इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान संग्रहालय बालाघाट, डॉ. कविता गहरवार प्रधान सम्पादक गंगोत्री वार्षिक गद्य और पद्य राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका, पं. भूपेंद्र कुमार दुबे शास्त्री, डॉ. संतोष कुमार सक्सेना थे।
माँ सरस्वती का विधिवत पूजन, सरस्वती वंदना, स्वागत गीत पश्चात, नैरोगेज डीजल इंजन का लोकार्पण, वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया गया, जिसकी प्रधान सम्पादिका डॉ. कविता गहरवार थी तथा अन्य पत्र-पत्रिकाओं में महुआ (गीत संग्रह), ज़मीं से आसमां (साहित्यिक प्रगति) दोनों किताबे डॉ. ओमप्रकाश हयारण 'दर्द' झांसी (उ.प्र.), यादें त्रैमासिक पत्रिका सम्पादक डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार और प्रकाश बढ़ता ही गया, स्वातंत्र्योत्तर काव्यगत राष्ट्र धर्मिकता, स्मृति के पल डॉ. मृदुला सिंह द्वारा लिखित का अतिथियों द्वारा किया गया। पुरातत्व एवं साहित्य संगोष्ठी विषय में वर्तमान परिदृश्य में अपनी मातृभाषा एवं अन्य भाषाओं का योगदान? विषय विशेषज्ञों ने विस्तृत जानकारी दी। मंच संचालन सुश्री सुषमा नाविक ने किया।
द्वितीय चरण दोपहर से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा प्रारंभ हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि श्रीमती भारती सुरजीत सिंह ठाकुर अध्यक्ष, नगरपालिका परिषद बालाघाट, अध्यक्षता डॉ. मृदुला सिंह विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग जबलपुर, विशिष्ट अतिथियों में डॉ. कमलकिशोर शर्मा साहित्य विद वर्धा (महाराष्ट्र), डॉ. दिनेश चंद्र प्रसाद ‘दीनेश’ कलकत्ता (पश्चिम बंगाल), डॉ. विजय लहरे सक्ती (छ.ग.) डॉ. हरगोविन्द कोसले सक्ती (छ.ग.), डॉ. वीरेन्द्र टंडन कोरबा (छ.ग.), शशि तिवारी गोंदिया (महाराष्ट्र), डॉ. प्रा. मुरहरी बलिराम कुंभारगावे नांदेड (महाराष्ट्र), डॉ. पंढरीनाथ वगारे यवतमाल (महाराष्ट्र), डॉ. दुर्गा वासनिक नागपुर (महाराष्ट्र), श्रीमती मंजू लंगोटे बैतूल (म.प्र.), डॉ. सुभाष चंद्र गुप्ता बालाघाट बालाघाट (म.प्र.), समीर सिंह गहरवार बालाघाट (म.प्र.), डॉ. रोहित डहरिया पामगढ़ (छ.ग.) विशिष्ट अतिथि थे। जहाँ राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय एवं स्थानीय कवियों द्वारा विभिन्न छंदों पर स्वर रचनाएँ प्रस्तुत कर रसास्वादन किया।
तृतीय चरण जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. अनुभा मुंजारे विधायक बालाघाट (म.प्र.), अध्यक्षता डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल सक्ती (छ.ग.), विशिष्ट अतिथियों में शिरीष शारडा रायगढ़ (छ.ग.), डॉ. अरुण सिंह जबलपुर (म.प्र.), डॉ. आनंद शर्मा नागपुर (महाराष्ट्र), विजय वासनिक नागपुर (महाराष्ट्र), डॉ. कुलदीप बिल्थरे बालाघाट (म.प्र.), श्याम सिंह ठाकुर बालाघाट (म.प्र.), डॉ. पूनम मिश्रा बालाघाट (म.प्र.) हरिलाल नगपुरे मोहगांव (ध.), डॉ. प्रमिला विजेवार बालाघाट (म.प्र.), मूलचन्द गुप्ता जांजगीर-चांपा (छ.ग.), गौरव गुप्ता चांपा (छ.ग.), श्रीमती रुपा कुर्रे रायपुर (छ.ग.), श्रीमती वर्षा मोटे रायपुर (छ.ग.) प्रेमलता गुप्ता बालाघाट (म.प्र.) कपिल मिश्रा बालाघाट (म.प्र.) निखिलेश सिंह यादव गोंदिया (महाराष्ट्र) थे।
विराट अभिनन्दन समारोह में वाचस्पति की मानद उपाधि, विद्या सागर की मानद उपाधि, राष्ट्रीय शिक्षा विद्श्री, राष्ट्रीय साहित्य शिखर विद्श्री, राष्ट्रीय साहित्य शिरोमणि विद्श्री, राष्ट्रीय विशिष्ट पुरोधा विद्श्री, राष्ट्रीय सांस्कृतिक विद्श्री, राष्ट्रीय स्वाभिमान विद्श्री, राष्ट्रीय पुरातत्व विद्श्री, राष्ट्रीय राष्ट्रभाषा स्वाभिमान विद्श्री, राष्ट्रीय स्वर्णिम रत्न विद्श्री, राष्ट्रीय प्रतिभा विद्श्री, राष्ट्रीय ध्रुव प्रकाश विद्श्री, राष्ट्रीय सारस्वत विद्श्री, राष्ट्रीय दिव्य ज्योति विद्श्री, राष्ट्रीय पारसमणि विद्श्री, राष्ट्रीय कर्मयोगी विद्श्री, राष्ट्रीय लक्ष्याधिपति विद्श्री, राष्ट्रीय राष्ट्रभाषा जागृति विद्श्री, राष्ट्रीय शब्द शिल्पी विद्श्री, राष्ट्रीय ऊर्जा विद्श्री आदि 15 राज्यों से पधारे 251 प्रतिष्ठित विद्वानों का पोशाक (गाऊन), शाल-श्रीफल, अभिनन्दन पत्र, प्रतीक चिन्हों से स्व. अमीचंद अग्रवाल स्मृति में दिया गया। अंत में दिवंगत साहित्य विद् के जीवन प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए आभार प्रदर्शन आचार्य डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार ‘वीर’ ने किया। एक दिवसीय आयोजित विराट समारोह को सफल बनाने में बाबूलाल गोमासे, सचिन सिंह गहरवार, अखिलेश कुमार पटले, शीला सिंह, श्वेता गहरवार, रुचि गहरवार, आंचल गहरवार, शांता गौतम,मिश्रीलाल साहू, हर्ष सिंह बैस, राजेंद्र कुमार ब्रम्हे, मीरा गहरवार, किशोर छिपेश्वर, संजुषा यादव, ध्रुव सिंह बैस, रमेश राठी, राजेंद्र शिवहरे, उदेलाल नागेश्वर, देवराम कुसराम, मुकेश यादव आदि का योगदान सराहनीय रहा।