अपने खुशियों की चाबी पड़ोसी को ना सौपे : कर्नल चतुर्वेदी
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ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम संपन्न
नागपुर। ज्येष्ठ जनों ने अपना भूत काल भुल कर वर्तमान में जिना चाहिये. मैं क्या था, किस पद पर था यह अब इतिहास हो गया है, आज मैं जो हूँ उसमें मैं कैसे खुश रह सकता हूँ यह सोचना चाहिए, यह सलाह विख्यात मोटीवेशनल वक्ता कर्नल संजय चतुर्वेदी ने दी है. ‘ढलती उम्र में आनंदी जीवन के मंत्र’ विषय पर ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में कामठी कंटोनमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल संजय चतुर्वेदी बोल रहे थे. ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान के कार्याध्यक्ष दत्ता मेघे की अध्यक्षता में हुये कार्यक्रम में मेसॉनिक लॉज के वरिष्ठ पदाधिकारी तरूण श्रीवास्तव प्रमुख अतिथी रूप में उपस्थित थे. मंच पर प्रतिष्ठान के सचिव डॉ. राजू मिश्रा तथा कोषाध्यक्ष अशोक मानकर और ट्रस्टी नानासाहेब समर्थ, डॉ. संजय उगेमुगे, प्रतापसिंह चव्हाण उपस्थित थे.
अपने खुशीयों की चाबी पड़ोसी हात मत दिजिये. पड़ोसी की संपन्नता देख, मेरे पास वो संपन्नता क्यों नहीं यह सोच कर दुखी होना मतलब पड़ोसी के हात अपनी खुशी की चाबी देना हैं. अपनी खुशी अपने हात में हैं, बाहर नही ऐसा भी कर्नल चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में आगे कहा. ज्येष्ठ जनों ने किसीसे भी कोई अपेक्षा रखना नही चाहिये. अपेक्षा नही रखेंगे तो अपेक्षा भंग का दुख भी नही झेलना पडेगा ऐसी सलहा अपने अध्यक्षीय भाषण में दता मेघे ने दी. अपनी जमा पुंजी अपने हाथ रखिये बच्चों मत सोपीये अन्यथा पश्चताना पड सकता है, ऐसा भी मेघे आगे कहा. विशेष अतिथी तरूण श्रीवास्तव ने वरिष्ठ लोगों अपने आनंद के लिये जिना चाहिये और सदा हास्य की खोज कर हसते मुस्कुराते रहना चाहिये ऐसा बताया.
ज्येष्ठ नागरिक प्रतिष्ठान समन्वय समिती सदस्य हेमंत अंबरकर ने प्रास्ताविक, डॉ. मंगला गावंडे ने आभार प्रदर्शन किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ राखी खेडिकर ने किया. सुरेश कर्दळे, दिलीप कातरकर, सत्यनारायण राठी ने अतिथीओं का स्वागत किया. कार्यक्रम में माधुरी पाखमोडे, सुनील अडबे, मिलिंद वाचणेकर, श्रीधर नहाते, पुष्पाताई देशमुख, किरण मोहिते, दिपक शेंडेकर, सुरेश तन्नीरवार, उषा पांडे, अरूण भुरे, विजय बावणकर, कालिंदीनी ढुमणे, मधुकर दहिकर, हिम्मत जोशी, मधुकर पाठक, गोविंद पटेल, राजवंती देवडे वरिष्ठ पत्रकार अजय पांडे, किरण गोसेवाडे, डॉ. माधुरी इंदूरकर, स्नेहा वराडपांडे मधुकर गौरकार, सुरेश उरकुडे, विनायक तिजारे आदी प्रामुखता से उपस्थित थे.