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संतुलन


बचपन मे स्कूल मे सिखाया जाता है, की प्रदूषण क्या है? और उसके प्रकार क्या होते है?
कोई भी चीज अगर गलत मात्रा मे गलत जगह पर,और गलत समय पे हो, तो उसे प्रदूषण कहते है। उसके चार प्रकार होते है, पानी का प्रदूषण, हवा का, मिट्टी का प्रदूषण और आवाज का प्रदूषण। परंतु क्या, ये चार ही प्रदूषण है?

दुनिया मे मां का प्यार एक ऐसा रिश्ता है, जिसका कोई मोल भाव नहीं होता। पर अगर मां का प्यार ज्यादा हो जाए तो बच्चा, मां को गृहित लेता है, और मनमानी करता है, और अगर जरूरत से कम हो जाए, तो वह अपना आत्मविश्वास खो देता है, मतलब यह कि, मां का प्यार भी, सही मात्रा मे होना चाहिए।

हम नारी को शक्तिरूपी कहते है। अगर वो अपनी शक्ति का सही उपयोग करे तो दुर्गा बनके महिषासुर का वध करदे, काली बनके, शुंभ, निशुंभ को मार सकती है, और जगदधात्री के रूप मे पूरी दुनिया संभाल ले। वही नारी अगर संयम छोड़ दें, तो रामायण और महाभारत घटित होता है।

शिवाजी महाराज को याद करो तो, जीजामाता याद आती है, उन्होंने अकेले शिवाबा को, इतना, संवेदनशील बनाया की उन्होंने दुश्मन के छापे मे पकड़ी गई, महिलाओं को भी सम्मान के साथ वापस भेजा और इतना कठोर बनाया, की अफजल खान जैसे को मार गिराया।

सामाजिक संतुलन के लिए, नारी के भावनाओं का संतुलित होना बहोत जरूरी है।
नारी दिवस की सबको अनेक शुभकामनाएं। आपका दिन मंगलमय हो।

- नंदा बोस
नागपुर (महाराष्ट्र)
लेख 6987979570855358662
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