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मेरे शिव


ना उथल
ना पुथल
शांत मन 
केवल शिव।

ना ओर
ना छोर
विशालतम 
मेरे शिव।

नादान मन
भाव विहीन 
क्यों तड़पे ऐसे
सब खोया जैसे
साथ सर्वदा
तेरे शिव।

तू ही शिव
मैं भी शिव
कण- कण में समाए
मेरे शिव।

सारी दुनिया, 
मेरे शिव,
लोक-परलोक
मेरे शिव,
तुझ बिन अधूरा
ओ प्यारे शिव।

शिव छाए
शिव गाए
शिव महके 
शिव चहके 
ताल शिव
बेताल शिव
दिल में मेरे
केवल शिव।

जब ज्ञान न था
ओ मेरे शिव,
अज्ञान ही था
ओ मेरे शिव,
तू साथ ही था 
ओ मेरे शिव,
अब ज्ञान भी है
पर मेरे शिव
तू ओझल है क्यों 
मेरे शिव।

बंधन हीन
क्रिया हीन
गुणातीतः
भोले शिव।

तू वेद
तू बाईबल
तू ही कुरान
और गुरुग्रंथ 
सबमें समाए
मेरे शिव।

काशी काबा
में है शिव,
जेरुसलम 
में भी शिव
अत्र-तत्र 
सर्वत्र शिव।

रास रंग
छंद निर्बंध
ताल सूर
गीत संगीत
बोले शिव
ओ भोले शिव।

जल में शिव
गगन में शिव
थल में शिव
छितिज भी शिव,
कहां नहीं 
तू मेरे शिव।

 
- डॉ. शिवनारायण आचार्य शिव’

नागपुर, महाराष्ट्र
काव्य 5982831624108855837
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