दायित्व बोध की अनुभूति है सम्मान - पी. नरेन्द्र कुमार
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नागपुर। सम्मान दायित्व बहुत की अनुभूति है। यह व्यक्ति की गरिमा एवं उसकी उपलब्धियों का मापक है। इससे प्रोत्साहन के साथ जिम्मेदारी का एहसास भी होता है। लेखक का सम्मान उसकी लेखनी की सामाजिक स्वीकृति और लेखकीय उपादेयता का परिणाम है। यह बात वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड, नागपुर के महाप्रबंधक पी. नरेंद्र कुमार ने कही। वे हिंदी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत नागपुर महानगर के साहित्यकारों के सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लेखक का सम्मान वास्तव में समाज का सम्मान होता है। लेखक समाज की वाणी होता है।
वरिष्ठ किडनी रोग तज्ञ, सेंट्रल इंडिया किडनी फाउंडेशन के संस्थापक साहित्यानुरागी डॉ. शिवनारायण आचार्य ने सम्मानित साहित्यकारों के लेखन कर्म की प्रशंसा करते हुए कहा कि लेखक समाज का सबसे जिम्मेदार प्राणी होता है। वह समाज का दिशा- दर्शक होता है। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के सदस्य श्री अजय पाठक ने कहा कि रचनाधर्मियों का सत्कार करके कोई भी समाज अपने आप को गौरवान्वित करता है। रचनाकार ज्ञान परंपरा के सच्चे वाहक होते हैं। प्रास्ताविक रखते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ मनोज पांडे ने सम्मानित साहित्यकारों के अवदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सम्मान लेखक की रचनाधर्मिता को प्रोत्साहित करता है। इससे लेखकीय सरोकारों को बल मिलता है।
सुपरिचित वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र पटोरिया को क्रांतिकारी लेखन के लिए, डॉ. सपना तिवारी को विदर्भ की हिंदी भाषा के लिए तथा डॉ. भारत खुशालानी को विज्ञान लेखन के लिए इस वर्ष साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया है। इस उपलक्ष्य में नगर के इन रचनाकारों का सत्कार किया गया। राजेन्द्र पटोरिया ने अपने लेखकीय अनुभवों को साझा करते हुए क्रांतिकारी लेखन की प्रासंगिकता बताई। डॉ. सपना तिवारी ने विदर्भ में हिंदी भाषा लेखन की स्थिति को रेखांकित किया। डॉ. भारत खुशालानी की अनुपस्थिति में उनकी माता जी डॉ. वंदना खुशालानी ने सम्मान ग्रहण करते हुए कहा कि यह गर्व का विषय है कि हिंदी भाषा में विज्ञान लेखन को स्वीकृति मिलने लगी है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी ने तथा आभार प्रदर्शन डॉ. एकादशी जैतवार ने व्यक्त किया। इस अवसर पर एस.पी. सिंह, अविनाश बागडे, संतोष बादल, नरेंद्र परिहार, हेमलता मिश्र, डॉ सुमित सिंह, प्रा.जागृति सिंह, नीरज श्रीवास्तव, डॉ. कुंजन लाल लिल्हारे, प्रा. दामोदर द्विवेदी, अनिल त्रिपाठी, जयवीर सिंह सहित अनेक शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।