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राष्ट्रीय एकात्मता की प्रतीक हैं देवी अहिल्याबाई : डॉ. वंदना खुशालानी

                           

नागपुर। अहिल्यादेवी होल्कर अपने महान व्यक्तित्व और कृतित्व से लोकमाता बनीं। अपने सात्विक जीवन और आत्मबल से उन्होंने मालवा राज्य का कुशल संचालन किया। उन्होंने न केवल इन्दौर नगर अपितु अपने राज्य की सीमा के बाहर अयोध्या, हरिद्वार, कांची, द्वारका, रामेश्वरम्, बद्रीनाथ, सोमनाथ, जगन्नाथपुरी, काशी, गया, मथुरा आदि प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों का जीर्णोद्धार करवाया। उन्होंने अपने आराध्य शंकर को राष्ट्रीय एकता का माध्यम बनाया। वास्तव में, अहिल्याबाई भारत की राष्ट्रीय एकात्मता का प्रतीक हैं। 


यह बात नगर की प्रसिद्ध वक्ता एवं दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉ. वंदना खुशालानी ने कही। वे हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, विदर्भ प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘व्याख्यान एवं सम्मान’ कार्यक्रम को सम्बोधित कर रही थीं। 
डॉ. खुशालानी ने कहा कि अहिल्यादेवी ने समाज के सभी वर्गों के हित के लिए कार्य किया। 

उन्होंने लोकहित के लिए अनेक घाटों, कुओं, बावड़ियों, धर्मशालाओं, विश्रामगृहों आदि का निर्माण करवाया। उनके राज्य में कला, साहित्य , उद्योग का व्यापक विस्तार हुआ। उनके शासनकाल में मालवा राज्य की राजधानी महेश्वर, साहित्य, संगीत, कला और उद्योग का केन्द्र बन गई थी। महिला जागृति और कल्याण के लिए उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए। उनके शासनकाल का स्मरण आज भी सुशासन और उत्कृष्ट व्यवस्था की दृष्टि से किया जाता है। 

इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नगर के रचनाकार डॉ. रामकृष्ण सहस्त्रबुद्धे, हेमलता मिश्र तथा डॉ. आभा सिंह का विभाग की ओर से मानचिह्न, अंगवस्त्र और श्रीफल देकर सत्कार किया गया। 

कार्यक्रम की  प्रस्तावना रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि देवी अहिल्याबाई का चरित्र भारतीय समाज के लिए आज भी प्रेरक है। तीन सौ वर्ष पूर्व उन्होंने राष्ट्र की संकल्पना को आकार दिया था। उनके लोक हितकारी कार्यों के कारण उन्हें लोक माता का दर्जा दिया गया। नगर के रचनाकार अविनाश बागडे, पूनम हिंदूस्तानी, रूबी दास, देवयानी बनर्जी, कमलेश चौरसिया आदि ने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोक माता अहिल्याबाई के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। 

कार्यक्रम का संचालन प्रा. जागृति सिंह ने तथा सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान नगर के प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. बालकृष्ण महाजन, एस.पी. सिंह, डॉ. लखेश्वर चन्द्रवंशी, डॉ. सुमित सिंह, डॉ. एकादशी जैतवार, डॉ. कुंजन लिल्हारे, साक्षी लालवानी, अनुश्री सिन्हा, ज्ञानेश्वर भेलकर सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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