साफ नीयत
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नीयत साफ नहीं होती,
और नीयत साफ हो तो
नाम की परवाह नहीं होती।
पर कान खोलकर
सुन लो ए पाक
तुम्हारा तो जन्म ही
बदनीयत की कोख से हुआ है,
इसीलिए हिंसा, हमले, हत्या
खून,आतंक,दहशत फैला
तुमने सदा मानवता को मारा है,
न जाने कितने परिवारों को उजाडा,
पत्नियों के माथे की बिंदी,सिंदूर
बहनो के भाईयो की कलाई,
मासूम बच्चो से पिता की गोद
और माताओं के लाडलों को छिन
चिता की आग मे झोंका है।
पर यह भी समझ लो ए पाक,
पत्नियों का सिंदूर,बहनों की राखी
मासूम बच्चों की आहें और
तडफती माताओं के बहते आंसू
तुम्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
धरती के स्वर्ग को नर्क बनाने की
तुम्हारी नापाक हरकतें,
कभी सफल नहीं होंगी
भारत माता के लिए दिया बलिदान
कभी व्यर्थ नहीं जाएगा
जीत मानवता की
साफ नियत वालों की ही होगी
राष्ट्र धर्म की ही होगी।
वंदे भारत।
- प्रभा मेहता
नागपुर, महाराष्ट्र
94230 66820