न्यायमूर्ति भूषण गवई बौद्ध समुदाय से भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने वाले पहले व्यक्ति
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नागपुर/दिल्ली। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने 14 मई, 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ली, जिसका संचालन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया। वे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लेंगे और 23 नवंबर, 2025 को अपनी सेवानिवृत्ति तक इस पद पर बने रहेंगे।
भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के साथ-साथ कैबिनेट मंत्रियों और सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठित दिग्गजों की गरिमामयी उपस्थिति में राष्ट्रपति भवन में भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री भूषण गवई सर के सबसे शुभ शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने का डॉ उदय बोधनकर को सौभाग्य और सम्मान मिला।
न्यायमूर्ति गवई ने अपना कानूनी करियर 1992 में शुरू किया था। 1985 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया और 2003 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। उन्हें 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया और तब से वे कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे हैं, जिनमें अनुच्छेद 370 और विमुद्रीकरण से संबंधित फैसले शामिल हैं।
अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने लगभग 300 फैसले लिखे हैं, जिनमें से कई संविधान पीठों से लिए गए हैं, जो भारत के कानूनी परिदृश्य में उनके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाते हैं। न्यायमूर्ति भूषण गवई बौद्ध समुदाय से भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने वाले पहले व्यक्ति बने एवं न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्णन के बाद निम्न जातियों से इस सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले दूसरे व्यक्ति भी हैं।
न्यायमूर्ति गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे डॉ. बी.आर. अंबेडकर से प्रेरित परिवार से आते हैं और बौद्ध धर्म का पालन करते हैं। उनके पिता, आर.एस. गवई, एक उल्लेखनीय सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक व्यक्ति थे।
इनकी नियुक्ति को न्यायपालिका के उच्चतम स्तरों के भीतर ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों की समावेशिता और प्रतिनिधित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाता है। महाराष्ट्र के अमरावती से आने वाले, उनकी पदोन्नति राज्य के लिए गौरव का क्षण है।