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किताबों में जीवन का सार : आदेश जैन


नागपुर। किताबें अपने आप में खूबसूरत शब्द है। कई बार महबूब का चेहरा किताब होती है तो कई बार समाज का आईना किताब ही होती है। किताबों में ही जीवन का सार है, ये विचार व्यक्त करते हुए साहित्यिकी के संयोजक आदेश जैन ने विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम ‘किताबें बोलती है’ कि शुरुआत की।


कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. भोला सरवर का स्वागत सहसंयोजक शादाब अंजुम ने किया।किताबें बोलती है कार्यक्रम में नागपुर के साहित्यकारों ने विभिन्न किताबों के अंश पढ़कर कार्यक्रम को सफल बनाया।
अमिता शाह ने (जन्नत - विनोद नायक), लक्ष्मीनारायण केशकर (हनुमान गोपे, लिखित पुस्तक), इंदिरा किसलय(फ्यूदोर दोस्तोयेवस्की की कहानियां), शादाब अंजुम (वक्त की दहलीज पर), सुरेखा खरे (छंद बद्ध हिंदी व्याकरण), तन्हा नागपुर (साहिल का जीवन परिचय), अनीता आगरकर (प्रेक्षा ध्यान), 

आदेश जैन (चक्रधर का चक्रव्यूह - सुदर्शन चक्रधर), सुनीता केसरवानी (रसिक काव्य सरोवर), रमेश मौंदेकर (द अंडरलाइन - पत्रिका), हेमलता मिश्र (दीवान ए अंजुम - शादाब अंजुम), डॉ भोला सरवर (डॉ आंबेडकर जीवन और मिशन), प्रीति दुबे (संस्मरण) ने ऐसी विभिन्न किताबों से महत्वपूर्ण और पसंदीदा अंश पढ़कर सुनाया। कार्यक्रम में अरुण खरे, भानुदास भालेराव, समीर पठान आदि ने उपस्थिति दर्ज कराई। सह संयोजिका हेमलता मिश्र ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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