व्यक्तित्व विकास कार्यशाला संपन्न
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नागपुर। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, विदर्भ प्रांत द्वारा देवी अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित व्यक्तित्व विकास कार्यशाला में बोलते हुए राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका सुश्री चित्रा ताई जोशी ने कहा कि अहिल्याबाई का व्यक्तित्व हम सबके लिए प्रेरक है। हमें अपनी तीन पीढ़ियों का नाम याद नहीं है किंतु 300 वर्ष पूर्व जन्मी देवी अहिल्याबाई होलकर का कर्तृत्व इतना प्रेरक और महान है कि हम उन्हें आदर पूर्वक याद करते हैं। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई का कर्तृत्व व्यक्तित्व विकास का परम आदर्श है।
चित्रा ताई ने कहा कि किसानी व्यवस्था संबंधी 7/12 का प्रयोग देवी अहिल्याबाई होलकर की ही देन है। सात का अर्थ है किसान उपज का सात हिस्सा स्वयं के लिए उपयोग करे और पांच हिस्सा जनहितार्थ शासकीय कोष में जमा करे। इस तरह उन्होंने एक ऐसी शासन प्रणाली की नींव डाली जिसमें सभी का योगदान सुनिश्चित हो। सेवा सदन विद्यालय, सीताबर्डी में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में नगर के विभिन्न महाविद्यालयों और विद्यालयों की छात्राओं एवं अध्यापिकाओं ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए सुनील किटकरु ने कहा कि व्यक्तित्व के विकास की कुंजी है आत्मा। हमें अपने मन को, अपनी आत्मा को संस्कारित करना चाहिए। पर हितार्थ, लोक कल्याणार्थ कार्य करने से हमारी आत्मा उदार बनती है। डॉ. मनीषा ताई कोठेकर ने सुरक्षा एवं सतर्कता विषय पर मार्गदर्शन करते हुए समाज में महिलाओं की शिक्षा पर बल दिया। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनने के पहलुओं पर चर्चा की। डॉ. माधुरी ताई वाघ ने महिलाओं के स्वास्थ्य संवर्धन के लिए अनेक उपाय बताए।
कार्यशाला के समन्वयक न्यास के प्रांत संयोजक डॉ. मनोज पांडे ने देवी अहिल्याबाई होलकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कार्यशाला की उपयोगिता को रेखांकित किया। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. एकादशी जैतवार ने अपने प्रास्ताविक में व्यक्तित्व विकास के अनेक पहलुओं पर चर्चा की। कार्यक्रम की सह-संयोजिका श्रीमती अनुश्री सिन्हा और श्रीमती साक्षी लालवानी थीं। कार्यशाला में अनेक महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।