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दर्शन


न जन्नत,
न जहन्नुम,
जो भी है
बस यहीं है।

न दो गज नीचे,
न सौ गज उपर,
हमारे कदम बस यहीं हैं।

न बीता कल,
न आने वाला कल
जो है, वह बस अब है।

लाए ही न थे कुछ,
और न कुछ ले पाओगे,
क़यामत का दिन आज ही है 
हिसाब बस यहीं होना है
और अभी।

जैसा कर्म
वैसा फल
बाक़ी वहम है।

- डॉ. शिवनारायण आचार्य ‘शिव’
   नागपुर, महाराष्ट्र 
समाचार 9045260176713622187
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