नागपुर रेलवे मंडल द्वारा ऐतिहासिक कुएं की सफाई
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- पानी निकालकर भी कचरा जस का तस
- 10 दिनों से सफाई का काम किया बंद
- फिर पानी से भर गया कुआं
नागपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे नागपुर मंडल द्वारा हाल ही में मोतीबाग स्थित 200 वर्ष पुराने ऐतिहासिक विशालकाय कुएं की सफाई का कार्य बड़े उत्साह के साथ शुरू किया गया था। वर्षों से उपेक्षित यह कुआं, जो कभी स्थानीय जलापूर्ति का प्रमुख स्रोत हुआ करता था, अब जर्जर स्थिति में पहुँच चुका है। पूर्व जेडआरयुसीसी सदस्य डॉ. प्रवीण डबली ने इस कुएं की सफाई को लेकर लंबे समय तक प्रयास किया। जिसके बाद रेलवे ने इसे पुनर्जीवित करने की दिशा में पहला कदम उठाया – लेकिन यह प्रयास विफलता की ओर जाता प्रतीत हो रहा है।
सफाई प्रक्रिया के तहत अब तक कुएं से लाखों लीटर पानी निकाला जा चुका है। पानी निकालने के पीछे मंशा यह थी कि तल में जमे कचरे और गाद को साफ किया जा सके। लेकिन वास्तविकता यह है कि अब तक सिर्फ पानी ही निकाला गया, जबकि तल में जमा प्लास्टिक, कीचड़, पत्थर और अन्य ठोस कचरा जस का तस पड़ा हुआ है। जिसे निकलने का प्रयास तक नहीं किया गया।
10 दिन से बंद पड़ा है काम
सफाई अभियान के शुरुआती कुछ दिनों में मशीनों और कर्मचारियों की अच्छी-खासी तैनाती देखने को मिली। लेकिन बीते 10 दिनों से यह पूरा कार्य अचानक बंद कर दिया गया है। न तो पानी निकालने का कार्य जारी है, और न ही अंदर जाकर कचरा हटाने की कोशिश की जा रही है। जिससे इसके मानसून पूर्व सफाई होने की अपेक्षा धूमिल हो गई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, आय ओ डब्ल्यू विभाग द्वारा 6 एचपी के लगे दोनों पंपों को हटा लिया गया है और किसी भी प्रकार की प्रगति नहीं हो रही है।
जल की बर्बादी पर उठे सवाल
जल संकट से जूझ रहे नागपुर जैसे शहर में लाखों लीटर पानी को यूँ ही बहा देना, पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए चिंता का विषय बन गया है। कई संगठनों ने इसे जल संपदा की 'अनुचित बर्बादी' करार दिया है। उनका कहना है कि यदि सफाई की पूरी योजना पहले से नहीं बनाई गई थी, तो केवल पानी निकालना संसाधनों की बर्बादी ही साबित हुआ है। साथ ही इस कुएं का 80 से 90 लाख लीटर पानी का उपयोग इस भरी गर्मी में शहर के पेड़ो को पानी देने हेतु किया जा सकता था। ज्ञात हो कि शहर में सड़कों पर लगे डिवाइडरों पर लगे पेड़ो को नाले से पानी भरकर डाला जा रहा है। ऐसे में इस कुएं से निकलने वाले पानी को टैंकर के माध्यम से पेड़ो को डाला जा सकता था। लेकिन किसी भी अधिकारी ना ही मनपा का, ना ही रेलवे के अधिकारियों ने संज्ञान लिया।
रेलवे मंडल की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे घटनाक्रम पर रेलवे नागपुर मंडल की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है। हालांकि कुछ अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ठेकेदार के साथ अनुबंध में कुछ तकनीकी अड़चनें आ गई हैं, जिसे सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
स्थानीय जनता की नाराज़गी
स्थानीय निवासियों का कहना है कि रेलवे द्वारा इस ऐतिहासिक कुएं की सफाई के नाम पर सिर्फ दिखावा किया गया। “अगर काम अधूरा ही छोड़ना था, तो शुरुआत क्यों की?” एक बुज़ुर्ग निवासी ने सवाल उठाया। इस कुएं की सफाई के लिए प्रयासरत डॉ. प्रवीण डबली व स्थानीय नागरिकों की यह भी मांग है कि रेलवे इस पर स्पष्ट रिपोर्ट जारी करे और दोबारा पूर्ण सफाई का कार्य प्रारंभ कर इसे यथाशीघ्र मानसून के पूर्व पूरा करे।
डॉ. प्रवीण डबली ने बताया कि इतिहास और पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस कुएं की सफाई यदि पूरी ईमानदारी और रणनीति के साथ की जाती, तो यह नागपुर शहर के लिए एक बड़ी उपलब्धि हो सकती थी। फिलहाल, यह प्रयास आधा-अधूरा और जल संसाधन की बर्बादी बनकर रह गया है। जिसमें अधिकारियों की इच्छाशक्ति की कमी नज़र आ रही है।