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हिन्दी महिला समिति ने मनाया 'मातृ दिवस'


कार्यक्रम में तीन पीढ़ियों की बहनों ने रखे अपने विचार

नागपुर। जानी- मानी संस्था 'हिन्दी महिला समिति' ने रति चौबे की अध्यक्षता में 'मातृ दिवस' के उपलक्ष्य में एक अत्यंत सुंदर कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें सभी बहनों ने, जो स्वयं एक मां हैं, बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया और तो और उन्होंने अपनी माताओं को भी स्मृति पटल पर लाया और भावुक हो गईं।
कार्यक्रम में तीन पीढियां एक साथ उतर आईं, जो देखकर हृदय गद्गद् हो गया। बहनों ने अपने विचार भी व्यक्त किए। 

मंजू पंत ने कहा कि प्रथम गुरु बन, गलत होने पर काली, इच्छा पूर्ति हेतु लक्ष्मी सिर्फ और सिर्फ मां ही होती हैं। 

- कविता परिहार अपनी कविता स्वरूप प्रस्तुति में कहा कि मां धूप -छांव हैं अगर तो उनकी ममता भी अथाह है। 
- पूनम मिश्रा कहती हैं कि मां भोर का सूरज, घर का चौखट, सांझ का चूल्हा भी मां ही होती हैं। 

- सुनीता शर्मा के अनुसार मां ने सिर्फ़ देना ही जाना, अपने लिए कभी कुछ न मांगा। हमारी काली रातें लेकर सुबह सुनहरी दे जाती हैं। 

- अपराजिता राजोरिया के कथनानुसार मौत के रास्ते कई हैं पर जीवन पाने का मार्ग केवल मां ही है। अगर तकदीर लिखने का हक मां को होता तो हमारे नसीब में कभी ग़म न होता। 

- कविता कौशिक कहती हैं कि मां की डांट में भी दुलार होता है। मां के आंचल के तले सारे हमारे अवगुण ढक जाते हैं। 

- निवेदिता पाटनी कहती हैं सादगी, सरलता मां की पहचान हैं इक दूजे की जान, हर बात का साझा भी जाता, चेहरा भी पढ़ लेती हैं मां। 

- गार्गी जोशी कहती हैं कि मां सखी- संगिनी है तो गुरु भी है, जो सारे संसार को एक ताने में बांधकर रखतीं हैं। नेह का बंधन मां से है तो बिछोह बड़ा दुखदाई है। 

- सुषमा अग्रवाल के अनुसार मां एक वीरांगना होती है जो दृढ़ निश्चय की पक्की, अटल विश्वास की धनी होती हैं जो स्वयं अंधकार की बेड़ियों से जकड़ी होकर भी बेटियों को शिक्षित कर अपना लोहा मनवाया। 

सचिव - रश्मि मिश्रा ने मां की तुलना भगवान से कर दिया और कहा कि हर वह काम जो भगवान करते थे, मां करने लगीं तो भगवान बेरोजगार हो गए।। 

उपाध्यक्षा - रेखा पाण्डेय के तो हृदय में ही मां का स्वरूप बस गया है। उनकी सरलता व सादगी से भरा जीवन, उनका पहनावा, अकथनीय है। 

रति चौबे ने बताया कि मां का आगोश इतना मधुर है कि उनका पल्लू खींच कर सोचा की लें लूं पर आसान नहीं था। मां तो शाश्वत है वह कहीं जा नहीं सकतीं हैं। 

- नीता चौबे कहती हैं कि मां के बिना जिंदगी अधूरी सी है। मां से ही जीवन का सार है। जिसको लफ़्ज़ों में बयां नहीं कर सकते हैं वह है मां। 

- अर्चना चौरसिया ने गीत पेश किया। 

- विमलेश चतुर्वेदी कहती हैं कि मां से ही पाया है ये रंग रुप। मां ने ही सिखाया जीवन का ऊंचा-नीचा। 

- गीतू शर्मा कहती हैं कि मां ने अपना गुण, स्वभाव देकर, संस्कार से सहेजा है। सरल, सौम्य और करुणा की मूरत हैं जिसके आगे सभी सुन्दरता फीकी है।
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