बच्चा ‘माँ’ के लिए सबकुछ होता है!
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मातृ दिवस माताओं के सम्मान हेतु मनाया जाता है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका और कुछ अन्य देशों में हरवर्ष मई महिने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। 1912 में ‘मदर्स डे’ के संस्थापक अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस को अपनी माँ से खास लगाव था। जार्विस अपनी माँ के साथ ही रहती थी और उन्होने कभी शादी भी नहीं की थी। माँ के गुजर जाने के बाद एना ने माँ से प्यार जताने के लिए मदर्स डे की शुरूआत की। उन्हौने ‘मई का दूसरा रविवार’ और ‘मदर्स डे’ वाक्यांश को ट्रेडमार्क कराया तथा माताओं और मातृत्व के सम्मान में ‘मदर्स डे’ मनाने के लिए ‘मदर्स डे इंटरनेशनल एसोसिएशन’ की स्थापना कर मातृ दिवस मनाने का विचार सुझाया गया था, अंत:त 1914 में वह राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने में सफल रहीं। जार्विस के द्वारा समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी सम्बन्धों को सम्मान देने के लिए आरम्भ किया गया था। तब से इस दिन लोग अपनी मां के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उन्हें प्रिय उपहार और शुभकामनाएं देकर ‘मदर्स डे’ मनाते हैं। यह एक परिवार या व्यक्ति का माँ के सम्मान के साथ-साथ मातृत्व, मातृ संबंधों और समाज में माताओं के प्रभाव का भी उत्सव है। यह विश्व के कई भागों में विभिन्न दिनों पर मनाया जाता है, आमतौर पर मार्च या मई के महीनों में यह मनाया जाता है। कुछ देशों में जैसे बुल्गारिया और रोमानिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन 8 मार्च को ‘मातृ दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
माँ यानी प्रेम, माँ यानी आत्मा और माँ यानी ईश्वर, इन दोनों का मिलन ही ‘माँ’ है। एक महिला जो माया को संजोती है। जब एक महिला अपने बच्चे को जन्म देती है, तो वह मातृत्व प्राप्त करती है और तभी समाज की नजर में वह उस बच्चे की माँ बन जाती है। माँ के सच्चे प्यार और पालन-पोषण की तुलना किसी भी चीज़ से नहीं की जा सकती। वह हमारे जीवन में एकमात्र महिला है, जो अपने बच्चों से बिना शर्त प्यार करती है। एक बच्चा माँ के लिए सबकुछ होता है। वह एक अच्छी श्रोता है और हमारी अच्छी-बुरी बातें सुनती है। यह हमें कभी नहीं रोकता और किसी भी तरह से हमें बांधता नहीं है। वह हमें अच्छाई और बुराई के बीच का अंतर सिखाती है। माँ हर सुख-दुख में हमारा साथ देती है, जब हम बीमार होते हैं तो वह हमारे लिए सारी रात जागती है और हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान से प्रार्थना करती है।
एक माँ का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक माँ का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, एक माँ बिना ये दुनियां अधूरी है। मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य मां के प्रति सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करना है भी है। पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाए तो माँ के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है। संतान के लालन-पालन के लिए हर दुख का सामना बिना किसी शिकायत के करनेवाली माँ के साथ बिताये दिन सभी के मन में आजीवन सुखद व मधुर स्मृति के रूप में सुरक्षित रहते हैं। भारतीय संस्कृति में माँ के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा रही है, लेकिन आज आधुनिक दौर में जिस तरह से ‘मदर्स डे’ मनाया जा रहा है, उसका इतिहास भारत में बहुत पुराना नहीं है। इसके बावजूद दो-तीन दशक से भी कम समय में भारत में ‘मदर्स डे’ काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
मातृ दिवस अनाथ बच्चों के प्रति समाज की कुछ विशेष वर्ग की महिलाओं द्वारा ममत्व दिखाने का दिन है, जो अनाथ बच्चे होते हैं उन्हें इस दिन अपनी 1 दिन की वात्सल्य देने वाली माँ के लिए अति प्रेम रहता है। सामान्यत: यह दिन यूरोप अमेरिका में ही मनाया जाता है, भारत में जो लोग पाश्चर संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं गत वर्षों से वह लोग भी इस दिन को मनाने लगे हैं। भारतीय महाद्वीप में इस तरह का कोई दिन नहीं है, भारतीय लोगों के लिए माँ से प्रेम या पिता से प्रेम सदैव ही आजीवन अकल्पनीय एवं अद्भुत रहा है। आधुनिक मातृ दिवस भारतीय संस्कृति में समाहित हो गया और यह हर वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाने लगा। भारतीय इस अवसर को धार्मिक आयोजन के रूप में नहीं मनाते हैं; इसका उत्सव मुख्यतः शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है, जहां इस अवसर का भारी व्यवसायीकरण हो चुका है। इस दिन बच्चे अपनी माताओं और दादी-नानी को उपहार देते हैं। यह मुख्य रूप से व्यावसायिक हितों से प्रेरित होकर पारिवारिक सदस्यों के सम्मान में मनाए जानेवाले समान समारोहों का पूरक है, जैसे फादर्स डे, सिबलिंग डे और ग्रैंडपैरेंट्स डे।
इंसानों के परिपेक्ष में माता अपने गर्भ में बच्चे को धारण करती है और भ्रूण के विकास के बाद उसे जन्म देती है। माँ, हर एक के जीवन में महत्वपूर्ण व सर्वश्रेष्ठ होती है क्योंकि इस दुनिया में किसी भी चीज को माँ की ममता को दुनिया की कोई भी मशीन से नहीं तोला जा सकता। इसका सीधे तौर पर माताओं और मातृत्व के कई पारंपरिक उत्सवों से कोई संबंध नहीं है, जो हजारों वर्षों से दुनिया भर में प्रचलित हैं, जैसे कि साइबेले का ग्रीक पंथ, माता देवी रिया, हिलारिया का रोमन त्योहार, या मदर्स डे के अन्य ईसाई धार्मिक उत्सव, जो मदर चर्च की छवि से जुड़े हैं। हालाँकि, कुछ देशों में ‘मदर्स डे’ आज भी इन पुरानी परंपराओं का पर्याय है।
विभिन्न देशों में इस समारोह को मनाने का अपना-अपना तौर-तरीका हैं। कुछ देशों में अगर मातृत्व दिवस के उपलक्ष पर अपनी माँ को सम्मानित नहीं किया गया तो यह अपराध माना जाता हैं। कुछ देशों में यह एक छोटे से प्रसिद्ध त्योहार के रूप में मनाया जाता हैं, जो अप्रवासियों या मीडिया के अनुसार विदेशी संस्कृति की देन हैं। शब्द मानवीय भावनाओं से जुड़े होते हैं और मानव जीवन में उनका अद्वितीय महत्व होता है। यदि किसी महिला ने बच्चे को जन्म नहीं दिया है, तो भी वह सौतेले बच्चे या गोद लिए गए बच्चे की माँ बन जाती है। मराठी में ‘माँ’ का अर्थ है मातृ प्रेम का सागर। प्रसिद्ध मराठी कवि यशवंत ने अपनी कविता में ‘तीनों लोकों का स्वामी, बिन माँ का भिखारी’ पंक्ति लिखकर ‘माँ’ शब्द की महानता का संक्षेप में वर्णन किया है। इस अवसर पर आज सभी को मातृ दिवस की शुभकामनाएँ!
मां का रिश्ता दुनिया के सभी रिश्ते से है बेहद खास
मां कितनी भी दूर रहे लेकिन हरदम रहती है दिल के पास
मां को होती है अपने बच्चों के हर सुख-दुख की खबर
मां के साए में ही गुजरे सारी उम्र, बस यही दुआ करते हैं हम।
- प्रविण बागडे
नागपुर, महाराष्ट्र