484वें नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह कार्यक्रम संपन्न
https://www.zeromilepress.com/2025/06/484.html?m=0
नागपुर/ईरोड। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा तमिलनाडु राज्य के ईरोड जिले के हिंदी प्रेमी मंडल के हिंदी प्रचारकों तथा निजी माध्यमिक विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 19.05.2025 से 29.05.2025 तक ‘484वें नवीकरण पाठ्यक्रम’ का आयोजन ललिता नर्सरी एवं प्राइमरी स्कूल, थिलाईनगर, ईरोड में संपन्न किया गया। इस ‘484वें नवीकरण पाठ्यक्रम’ में कुल 112 (महिला-103, पुरुष-09) हिंदी अध्यापकों तथा हिंदी प्रचारकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
इस पाठ्यक्रम के दौरान क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने भाषाविज्ञान तथा उसके विविध पक्ष, ध्वनि, उच्चारण, भाषा परिमार्जन, भाषा कौशल, लेखन कौशल आदि विषयों पर ज्ञानार्जन किया। डॉ. फत्ताराम नायक ने हिंदी व्याकरण तथा उसके विविध पक्ष, रस, छंद एवं अलंकार, शब्द, शक्तियाँ, भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय जीवन पद्धति, भारतीय बहुधार्मिकता और समन्वय, डॉ. दीपेश व्यास ने भाषा शिक्षण, पाठयोजना (गद्य/पद्य), शिक्षा मनोविज्ञान, हिंदी साहित्य का इतिहास, हिंदी भाषा का उद्भव व विकास, डॉ. अन्बुमणि ने हिंदी शिक्षण में प्रौद्योगिकी का प्रयोग, साहित्य शिक्षण (गद्य / पद्य) विषय पर अध्यापन कार्य संपन्न किया तथा डॉ. के. रामनाथन ने तमिल से हिंदी तथा हिंदी से तमिल अनुवाद प्रक्रिया एवं डॉ. चंदू खंदारे ने सृजनात्मक लेखन विषय पर विशेष व्याख्यान दिए। इस दौरान प्रतिभागियों ने विभिन्न विषयों पर अपने लेख लिखकर हस्तलिखित पत्रिका तैयार की। पाठ्यक्रम के अंत में पर-परीक्षण लिया गया।
इस नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह 29 मई, 2025 को केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास, चेन्नई तथा त्रिचि के कार्यकारी सदस्य डॉ. आर. जयकरण, विशिष्ट अतिथि के रूप में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, त्रिची, तमिलनाडु के कार्यकारी सदस्य डॉ. ए. आर. चंद्रशेखरन, तथा अन्य अथिति श्री वी. सुंदरनाथन एवं हिंदी प्रेमी मंडल, इरोड की प्रभारी श्रीमती दैवलक्ष्मी उपस्थित थे। इस अवसर पर पाठ्यक्रम संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक एवं डॉ. दीपेश व्यास मंच पर उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. आर. जयकरण ने कहा कि दक्षिण भारत के शिक्षकों के पास हिंदी का पूरा ज्ञान नहीं होता इसलिए उन्हें छात्रों को पढ़ाने में कठिनाई होती है। उन्हें हिंदी बोलने और समझने दोनों में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जो यहाँ से सीखकर जाएँगे उसके शिक्षकों के अंदर नए विचार उत्पन्न होंगे जो आगे जाकर समाज के विकास में सहायक होंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. ए. आर. चंद्रशेखरन ने ईरोड हिंदी प्रेमी मंडल के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उसकी उपयोगिता एवं आगे के कार्यक्रमों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। श्री सुंदरनाथन ने ईरोड हिंदी प्रेमी मंडल की विधिवत शुरूआत की घोषणा की तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र द्वारा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए आभार व्यक्त किया।
अभासी पटल के माध्यम से निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि यह नया युग प्रादेशिक भाषाओं का युग है। इसके लिए नई शिक्षा नीति में भी त्रिभाषा का समावेश किया गया है। सभी भाषाएँ सामानांतर हैं पर उनका दिल या मन समुद्र की तरह है। इसका विकास करना हम सब का कर्तव्य है। वैश्विक स्तर पर भी सभी कंपनियाँ हिंदी में प्रचार-प्रसार कर रही हैं। हमारे देश के प्रधानमंत्री भी हिंदी भाषा के साथ-साथ संपूर्ण भारतीय भाषाओं का विकास चाहते हैं। आजकल की टेक्नोलॉजी में मोबाइल सभी प्रदेशिक भाषाओं में अपनी सॉफ्टवेयर विकसित कर चुका है जिससे भाषाओं के अनुवाद में सरलता हो गई है। भाषा नए-नए रोजगार देने में सक्षम है तथा इससे मनुष्य के कौशल एवं समाजिक विकास होता है।
पाठ्यक्रम संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने कहा कि अध्यापक को हमेशा विद्यार्थी बनकर ही ज्ञान मिल सकता है। सीखने की कोई आयु नहीं होती। निरंतर अभ्यास से सभी प्रकार की त्रुटियाँ दूर हो सकती हैं। उच्चारण एवं लेखन सुधारने के लिए निरंतर अभ्यास करना चाहिए। करोना काल से हमें ऑनलाइन माध्यम से भी ज्ञान का आदान-प्रदान करने का मौका मिला जिसका हमने भरपूर फायदा उठाया। शिक्षक को हमेशा अद्यतन रहना चाहिए। पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक ने कहा कि ईरोड के हिंदी अध्यापक/प्रचारका प्रतिभागियों में सीखने की जो ललक है वह कम ही देखने को मिलती है। एक साथ 112 प्रतिभागी प्रतिदिन पाठ्यक्रिया में भाग ले रहे थे। जिसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं।
इस कार्यक्रम का संचालन एस. स्वर्णाम्बिगै द्वारा किया गया। आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रतिभागी समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने हस्तलिखित पत्रिका ‘हल्दी नगर ईरोड’ तैयार की। समापन समारोह के दौरान अतिथियों द्वारा हस्तलिखित पत्रिका का लोकार्पण किया गया। प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किए गए। पर-परीक्षण के आधार पर प्रथम पुरस्कार दीपिका आर., द्वितीय पुरस्कार पी. कविता एवं तृतीय पुरस्कार वी. सिंधुजा ने प्राप्त किया। इन्हें अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए। दैवलक्ष्मी को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किया गया। इस पाठ्यक्रम के समापन समारोह में प्रतिभगियों द्वारा अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। पाठ्यक्रम से संबंधित प्रतिक्रियाएँ सी. परमेश्वरी एवं प्रतिभागी सदस्यों ने दीं। अंत में राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ।