अंतर्राष्ट्रीय नागरी लिपि संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन
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नागपुर। नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली की छत्तीसगढ़ी इकाई के तत्वावधान में आयोजित नागरी लिपि परिषद के द्वारा "लिपि विहीन बोली भाषाओं के लिए नागरी लिपि"विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया इसकी अध्यक्षता नागरी लिपिपरिषद के महामंत्री डॉ हरि सिंह पाल ने की। ग्रेसियस कॉलेज रायपुर की प्राध्यापक डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक की कुशल संचालन एवं संयोजन तथा डॉ आशीष नायक के आयोजन में डॉ अवंतिका शर्मा रायपुर छत्तीसगढ़ ने सरस्वती वंदना और गाजियाबाद की नागरी अध्येता डॉ. रश्मि चौबे ने सुमधुर नागरी वंदना से संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
महासमुंद छत्तीसगढ़ के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सरस्वती वर्मा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। नीदरलैंड के साझा संसार के अध्यक्ष डॉ.रामा तक्षण ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि नागरी लिपि देश की विविधता को नजदीकी ला सकती है साथ ही देवनागरी लिपि की ध्वनि आत्मा व परमात्मा का रूप है देवनागरी की क्षमता अन्य भाषाओं की लिपि में सहयोग है। वक्ता के रूप में नागरी हिंदी प्रचारक, मॉरीशस के डॉ. सोमनाथ काशीनाथ ने कहा कि जिन भाषा व बोलियां की लिपि नहीं है उनके लिए नागरी लिपि वरदान है। नागरी लिपि में लिपिबद्ध करने की क्षमता है। वक्ता के रूप में हिंदी विभागाध्यक्ष सिक्किम केंद्रीय विश्वविद्यालय गंगटोक के प्रोफेसर प्रदीप शर्मा ने कहा कि नागरी लिपि वैज्ञानिकता के निकट है भाषा को बचाने के लिए लिपि की भूमिका महत्व पूर्ण है।
वक्ता के रूप में पूर्व उपनिदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, दिल्ली के डॉ. भगवती प्रसाद निदरिया ने कहा कि लोक साहित्य को देवनागरी में बोले जानी चाहिए अधिकांश बोलियां पूर्वोत्तर की है। जिसकी शब्दावली में विभिन्न पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है।अतः अधिक से अधिक नागरी लिपि का प्रयोग किया जाना चाहिए। डॉ आनंद शरण ने कहा कि नागरी लिपि को व्यवहार में लाना आवश्यक है। अमेरिका की डॉ. मीरा सिंह ने कहा कि नागरी लिपि को विद्यार्थियों तक पहुंचाना बहुत आवश्यक है।
मुंबई की लता जोशी ने कहा कि नागरी लिपि को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद ने कहां कि हम सभी को नागरी लिपि में लिखना चाहिए। संयोजन एवं संचालन कर रही डॉ. मुक्ता कौशिक ने कहा कि देवनागरी लिपि-लिपि विहीन बोलियों और भाषाओं के लिए एक उपयुक्त विकल्प है। यह लिपि भारतीय भाषाओं के लिए एक व्यापक रूप से स्वीकृत लिपि है।और इसे लिपि विहीन भाषाओं को लिखने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री और न्यूयॉर्क अमेरिका से प्रकाशित वैश्विक हिंदी पत्रिका सौरभ के संपादक डॉ. हरि सिंह पाल ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि नागरी लिपि के माध्यम से बोली भाषा को जीवित रखी जा सकती है वर्तमान में संस्कृति लुप्त हो रही है बोली भाषाओं के गीत ना होकर फिल्मी गीत चल रही है। देवनागरी लिपि का मानकीकरण किया गया है जो की विभिन्न भाषाओं और बोलियों के बीच एकरूपता सुनिश्चित करता है। साथ ही लिपि विभिन्न भाषाओं को लिखने के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती हैं।
संगोष्ठी में तमिलनाडु के इस अनंत कृष्णन, डॉ. डेनियल राजेश,डॉ. के. विजय कुमार, कर्नाटक के डॉ. नागनाथ भेड़ेऔर सुश्री रश्मि देवी, अमेरिका से डॉ. बिंदेश्वरी अग्रवाल, उज्जैन से डॉ. प्रभु चौधरी नागरी लिपि परिषद मध्य प्रदेश प्रभारी,उड़ीसा के श्री हरिराम पंसारी, बिहार की डॉ. शिप्रा मिश्रा महाराष्ट्र के डॉ. आरिफ जमादार, डॉ. जगदीश परदेसी, जौनपुर के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. बृजेश कुमार यदुवंशी, झारखंड के डॉ. अशोक अभिषेक छत्तीसगढ़ के डॉ. एम एल नथानी ,डॉ. सुषमा पांडे, शोधार्थी झारेन्द कुमार, डॉ. सुबिया फैसल, लखनऊ से उपमा आर्य,सोनू सहित इस अंतरराष्ट्रीय आभासी में अनेक साहित्यकार उपस्थित रहे। आभार रायपुर के सहायक प्राध्यापक सुश्री नम्रता ध्रुव के द्वारा किया गया।