कला सीखने के लिए पहले विद्यार्थी बनना होगा : निषाद लाडसे
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उभरते सितारे मे 'आओ गुनगुनाएं'
नागपुर। प्रतिभा प्रोत्साहन के इस कार्यक्रम में इस संस्था को बहुत- बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा। यह जो कला आप लोगों ने प्रस्तुत की है, इसका चयन करना सबसे महत्वपूर्ण है। किसी भी कला को सीखने के लिए गुरु का होना आवश्यक है। गुरु का चयन सही तरीके से चाहिए जिससे, हम जो प्रैक्टिस करेंगे वह सार्थक हो सके। कला सीखने के लिए सबसे पहले विद्यार्थी बनना होगा फिर, उपासक फिर, साधक और फिर साधना करनी होगी। यह एक लंबी जर्नी है। कभी यह न सोचे कि मुझे सब कुछ आता है, हर विषय अपने आप में बहुत गहराई लिए हुए हैं। हां अगर आपको किसी भी कला का 0.5% भी अगर आता है तो यह भी बहुत अच्छी बात है। क्योंकि, आप विशेष है। यह विचार निषाद लाडसे ने बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच रखे।
विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं को समर्पित उपक्रम 'उभरते सितारे' का आयोजन हिंदी मोर भवन के उत्कर्ष हॉल में किया गया। कार्यक्रम का विषय 'आओ गुनगुनाएं' पर आधारित ज्ञानवर्धक, मनोरंजन और संगीतमय प्रस्तुतियों से भरा रहा। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप मे सांदीपनी स्कूल के कंप्यूटर शिक्षक और संगीत विशारद जनार्दन लाडसे जी उपस्थित थे। इनका सम्मान संयोजक युवराज कुमार ने स्मृति चिन्ह देकर किया। सर्वप्रथम, कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए प्रशांत शंभरकर ने 'आओ गुनगुनाएं' पर अपने विचार व्यक्त किए।
तत्पश्चात, बच्चों ने भी इस विषय पर अपने विचार रखते हुए अपने गीतों और नृत्य से सबको प्रभावित किया। जिसमें, अंश माखिजा, संपूर्णा रेमंडल ने कार्यक्रम के विषय पर सुंदर कविता सुनाई। त्रिशीका वाघमारे, आदित्य मिंज, कमल मोहाडीकर, जान्हवी तामगड़े ओर अंश माखिजा ने कीबोर्ड बजाकर सुंदर गीतों की प्रस्तुति दी। अयांश गुप्ता, कनिष्के गुप्ता और संपूर्णा रेमंडल ने बहुत ही सुंदर शास्त्रीय कथक नृत्य की पेश किया। प्रशांत दोसारवार ने सुंदर बांसुरी वादन किया।
बच्चों की प्रस्तुतियों को उनके अभिभावकों के साथ-साथ सीमा लूहा, सरिता लाकुड़कर, वैशाली तळवेकर, शिवानी लूहा, विजय मोहड़ीकर, पूजा मखीजा, रवि सहारे, मीनाक्षी केसरवानी, सुरेश मिंज, गीता मिंज, वैशाली मदारे और मोनिका रेमंडल आदि ने बहुत सराहा। कार्यक्रम मे प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का संचालन एवं, उपस्थित सभी दर्शकों, कलाकारों और बच्चों का आभार संयोजक युवराज कुमार ने अपने शब्दों में व्यक्त किया।