विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज का उन्नतीस वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया
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नागपुर/प्रयागराज। 1996 में स्थापित विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उत्तर प्रदेश का 29 वां स्थापना दिवस समारोह अंतर्राष्ट्रीय आभासी स्तर पर बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। जिसके सूत्रधार स्वर्गीय पवहारी शरण द्विवेदी थे। जिसे सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी बहुत ही व्यवस्थित तरीके से चला रहे हैं। इस समारोह के अध्यक्षता डॉ. विजयालक्ष्मी रामटेके, सेवानिवृत्त कुलानुशासक द्वारा किया गया। समारोह की मुख्य अतिथि डॉ. मीरा सिंह, अमेरिका ने कहा कि विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान अपना 29 वां स्थापना दिवस बहुत ही मनमोहक ढंग से बाल संसद और युवा संसद के नए युवा पीढ़ी के गीत, गायन और नृत्य की प्रस्तुति के द्वारा मना रहा है, यह हमारे लिए गर्व की बात है। हिंदी भाषा का हमारे वर्तमान पीढ़ी के द्वारा उपयोग किया जा रहा है यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है। डॉ. द्विवेदी द्वारा यह कार्य विगत 29 वर्षो से किया जा रहा है। कार्यक्रम का प्रारंभ माँ सरस्वती की वंदना श्रीमती शालिनी, मंगलौर, कर्नाटक के द्वारा किया गया। स्वागत कुमारी रीति कलिता, गुवहाटी, असम द्वारा किया गया।
अपने प्रस्ताविक उद्बोधन में डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने भगवत गीता के श्लोक ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’। कर्म करने का अधिकार मनुष्य का है, लेकिन कर्मों के फल का अधिकार नहीं। इन पंक्तियों से करते हुए कहा कि अच्छे कार्यो में कठिनाई बहुत आती है। अगर सबलोग कर लेते तो सब महान हो जाते, सब लोग याद किए जाते। लेकिन ऐसा नहीं होता। कुछ ही लोग है जो अपने कार्यो के बल पर अमिट छाप छोड़ जाते है और इतिहास में सदा- सदा के लिए अमर हो जाते है। संस्थान के पूर्व के पदाधिकारियों को नमन करते हुए वर्तमान के कर्मठ पदाधिकारियों कर्नाटक प्रभारी डॉ. सुमा टी.आर, छत्तीसगढ़ प्रभारी डॉ. मुक्ता कौशिक, उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रीमती पुष्पा श्रीवास्तव शैली, युवा संसद प्रभारी श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव तथा सदस्य श्रीमती अनीता सक्सेना, डॉ. सरस्वती वर्मा का नाम उल्लेखनीय है।
संस्थान के कार्यो और आयोजनों का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि संस्थान द्वारा निराश्रित वृद्धजनों के लिए स्नेहााश्रम (वृद्धाश्रम) का निर्माण कार्य जारी है। संस्थान की मासिक पत्रिका विश्व स्नेह समाज जो सितम्बर 2025 में अपने 25 वर्ष पूर्ण कर रही है तथा शोधार्थियों, विद्यार्थियों, प्रोफेसर तथा आम जन के लिए लाभदायक साबित हो रही है, के प्रकाशन पर प्रकाश डाला। इसके अलावा प्रत्येक माह 30 तारीख को हिन्दी साहित्य का इतिहास, 15 तारीख को सामाजिक विषय, प्रथम रविार को बाल संसद, तीसरे रविवार को युवा संसद का आभासी आयोजन होता है। साथ ही अलग-अलग राज्यों के विषयों पर भी संगोष्ठी आयोजित की जाती है। जो सभी के लिए ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायक होती है। साहित्यकारों, समाजसेवियों, पत्रकारों एवं कलाकारों को सम्मानित करने, पुस्तकों के प्रकाशन का कार्य भी सुचारु रुप से जारी है। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान विभिन्न विद्वानों, साहित्यकारो के लिए पंसदीदा व बहुत ही प्रेरणादायक संस्था बनती जा रही है।
स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर दिनांक 8 जून से 14 जून तक अलग अलग प्रतियोगिताओ का आयोजन हुआ। संस्थान के कार्याध्यक्ष एवं किशोर न्यायालय, सोनभद्र के सदस्य डॉ. ओमप्रकाश त्रिपाठी ने प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किए जिसमें बाल संसद की गायन प्रतियोगिता में कु नेहश्री, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश विजेता रही, युवा ससद की काव्य प्रतियोगिता मे कोल्हापुर, महाराष्ट्र की तनुजा भिकाजी ढेरे विजेता रही तथा बाल ससद में कु. सौम्या आचार्य, विदिशा, मध्य प्रदेश दूसरे स्थान तथा कु. ओजस्वी श्रीवास्तव, विदिशा, मध्य प्रदेश और कु. संजना शर्मा, इंदौर, म.प्र. संयुक्त रुप से तीसरे स्थान पर तथा युवा संसद की काव्य प्रतियोगिता में श्री यशवंत कुंजाम, धमतरी, छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर तथा कु. साहिती पात्रों, रायगढ़, उड़ीसा, तीसरे स्थान पर रही।
कार्यक्रम में बाल संसद की सचिव कु. स्वरा त्रिपाठी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, कु. यशिका चतुर्वेदी, जयपुर, राजस्थान, कु. नेह श्री, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, युवा संसद की कु. साक्षी प्रजापति, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, सुश्री साक्षी जाधव, नासिक, महाराष्ट्र तथा मुख्य शाखा की सुश्री मंजरी गाडगिल, मंगलुरु, कर्नाटक के द्वारा कर्णप्रिय भजन एवं नृत्य की प्रस्तुति देकर आयोजन को आकर्षक बनाया गया।
अध्यक्षता कर रही डॉ. विजयालक्ष्मी रामटेके, नागपुर, महाराष्ट्र, अध्यक्ष विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज ने कहा कि संस्था के द्वारा किया गया पूरे साल का ब्योरा देखें तो संस्थान बहुत ही सक्रियता से आगे बढ़ रहा है और आगे भी यह संस्था नेक कार्य करने जा रही है। जो हम सबके लिए गौरव की बात है। साथ ही उनके द्वारा 13 एवं 14 जून को आयोजित पदाधिकारियों एवं सदस्यों की काव्य प्रतियोगिता के परिणाम भी घोषित किए। पदाधिकारियों की काव्य प्रतियोगिता में युवा ससद प्रभारी लक्ष्मी कात वैष्णव विजेता रहे तथा सदस्यों की काव्य प्रतियोगिता मे श्रीमती सतोष शर्मा शान हाथरस विजेता रही। उन्होंने बताया कि सभी विजेताओं को संस्थान के 12 एवं 13 अक्टूबर 2025 को आयोजित होने वाले संस्थान के अधिवेशन में सम्मानित किया जाएगा।
13 जून को आयोजित संस्थान के पदाधिकारियों की काव्य प्रतियोगिता में बिहार की राज्य प्रभारी श्रीमती रजनी प्रभा, पटना, तीसरे स्थान पर, डॉ. कृष्णामणिश्री, मैसूर, कर्नाटक दूसरे स्थान पर तथा सदस्यों की काव्य प्रतियोगिता मे तीसरे स्थान पर अयोध्या, उत्तर प्रदेश की श्रीमती अनीता सक्सेना, दूसरे स्थान पर भाव नगर गुजरात की डॉ. सुमन शर्मा रही।
आयोजन का सफल संचालक एवं संयोजक कर रही डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक छत्तीसगढ़ प्रभारी ने कहा हिंदी के लिए काम कर रही यह संस्था जो कि हमारी अखंडता में एकता और हमारे देश की पहचान है। आभार आंध्र प्रदेश प्रभारी डॉ. विजय भारती जेल्दी विशाखापत्तनम के द्वारा किया गया। इस विशेष अवसर पर नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल, नई दिल्ली, मध्य भारत हिंदी के श्री हरेराम वाजपेई, इंदौर, मध्य प्रदेश, कर्नाटक प्रभारी डॉ. सुमा टी. आर., महाराष्ट्र प्रभारी डॉ. भरत शेणकर, मध्य प्रदेश प्रभारी डॉ. वंदना अग्निहोत्री, उत्तर प्रदेश प्रभारी श्रीमती पुष्पा श्रीवास्तव, बिहार की प्रभारी श्रीमती रजनी प्रभा,
युवा सांसद की कार्याध्यक्ष रोहिणी डावरे, युवा संसद प्रभारी श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव, छत्तीसगढ़, बाल संसद प्रभारी डॉ. रश्मि चैबे, गाजियाबाद, हरियाणा प्रभारी श्री राजेन्द्र आर्य, स्नेहाश्रम प्रभारी डॉ. कृष्णा मणिश्री, डॉ. नज़मा मलिक, डॉ. सरस्वती वर्मा, श्री गुप्तेश्वर उपाध्याय, श्रीमती जयकला, विश्व स्नेह समाज पत्रिका उपसंपादक डॉ. सीमा वर्मा, डॉ. शंभू पंवार, वर्ड रिकॉर्ड होल्डर जयपुर राजस्थान, डॉ. रंणजीत सिंह अरोड़ा, रतिराम गढ़ेवाल, श्रीमती सुरेखा शर्मा, विजय कृष्ण त्रिपाठी, सहित अंतर्राष्ट्रीय आभासी पटल पर अनेक विद्वान, साहित्यकार, युवा सांसद, बाल संसद विद्यार्थी, शोधार्थी, प्रोफेसर, प्राध्यापक उपस्थित रहे।